कांग्रेस में बड़ा बदलाव करते हुए सोनिया ने अध्यक्ष और 5 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की

कांग्रेस में बदलाव का दौर जारी है अंतरिम अध्यक्ष का पद संभालने के बाद सोनिया गांधी ने साफ इसारा दिया था कि पार्टी में सभी स्तर पर बदलाव होंगे। इसी मद्देनजर कांग्रेस ने झारखंड में बड़ा बदलाव करते हुए एक अध्यक्ष और 5 कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति की है।

झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार के इस्तीफे के बाद से खाली चल रहे प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को नए नाम को घोषणा कर दी गई।

राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष रामेश्वर उरांव झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष बनाए गए हैं। अध्यक्ष के साथ 5 कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। केशव महतो कमलेश, इरफ़ान अंसारी, मानस सिन्हा, संजय पासवान और राजेश ठाकुर को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।

उरांव 14 फरवरी 1947 को पलामू के चियांकी में पैदा हुए थे। रामेश्वर उरांव ने 1972 में राष्ट्रीय पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले रांची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी।

रामेश्‍वर उरांव लोहरदगा के सांसद भी रह चुके हैं। 7 अप्रैल, 2008 को रामेश्वर उरांव ने मनमोहन सिंह सरकार के तहत पहली कैबिनेट में एक आदिवासी मामलों के मंत्री के रूप में शपथ ली थी।इसके अलावा वे अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्‍हें टिकट नहीं मिला।

पार्टी में चल रहे भीतरी कलह के चलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने इस महीने की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपना त्यागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ चुके राहुल गांधी को सौंपा था।

लोकसभा चुनाव के बाद से झारखंड में कांग्रेस दो खेमे में बंटी नजर आई थी। कई बार कांग्रेस भवन में दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की तक की नौबत आ गई थी। राहुल गांधी को लिखे पत्र में अजय कुमार ने लिखा था कि वह कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाने के लिए अपने दिल और आत्मा पार्टी में लगाने की कोशिश की। झारखंड में पार्टी की कमान संभालने की जिम्मेदारी लेने के बाद वे पार्टी को एकीकृत और जिम्मेदार संगठन की तरफ ले जाना चाहते थे लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके।

डॉ. अजय ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि प्रदेश में पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ता पार्टी के वफादार होने के बदले अपने से संबंधित नेताओं के प्रति वफादार हैं।

इसी सब बातों को मद्देनजर रखते हुए पार्टी में प्रादेशिक स्तर पर बदलाव किए गए हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी नजदीक है। अब देखना है कांग्रेस की नई टीम कैसे पार्टी में गुटबाजी खत्म कर बीजेपी सरकार को चुनौती देती है।

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