
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के व्यक्तित्व और उनकी राजनीति को देखें तो यह बात समझ में आता है कि राहुल राहुल बहुत ही शालीन व्यक्ति हैं, बहुत ऐसे लोग हैं जिनका मानना है कि राजनीतिक सोच विचार कुछ भी हो सकते हैं लेकिन राहुल पर व्यक्तिगत प्रहार करना अनुचित है।
राहुल गाँधी जिन परिस्थितियों से संघर्ष करते आये हैं उन हालातों को समझने की जरूरत है।
जब राजीव गांधी की असमय हत्या हुई तब से राहुल के ऊपर दबाव आ गया कभी सोनिया गांधी को विदेशी कहा गया कभी राहुल के व्यक्तिगत निजी निर्णयों पर जबरदस्त प्रहार हुए, कुल मिलाकर उनको रास्ते का एक कंकड़ मान कर खुद अपनी पार्टी के नेताओं ने भी मौके का फायदा उठाया…
सोचिए एक समय राजीव सत्ता में थे तब राहुल ने लोगों का व्यवहार देखा और पिता की हत्या के बाद उनका रंग भी देखा, इसमें राहुल का क्या दोष की वो गांधी परिवार से आते हैं, आखिर वो भी अन्य लोगो ही तरह एक इंसान हैं …
एक सुनियोजित तरीके से राहुल गांधी को मीडिया द्वारा ही प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया जाता है दूसरी तरफ मीडिया हर पल उनकी खबर रखता है, उनकी हर कमियों को फैलाया जाता है, सवाल ये भी उठेंगे की किस इंसान में कमी नही होती है ?
राहुल की सबसे अच्छी बात कि वो हमेशा शांत नजर आते हैं, उन्हें पता है कि गांधी परिवार से होने का उनके ऊपर कितना दबाव है। हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा उन पर अपने विचार व्यक्त कर देता है यह अनुचित है…
राजनीति में सबकुछ जायज है, राहुल गांधी एक अकेले ऐसे नेता हैं जो बिना कुछ गलत किये तीखी आलोचना झेल रहे हैं.. अब तक जो देश मे कांग्रेस पार्टी द्वारा जो भी गलत हुआ उसका परिणाम राहुल गांधी झेल रहे हैं।
पार्टी के कुछ नकारा नेताओ की हार हुई पर उसका दोष राहुल के सर मढ दिया जाता है, राहुल को अयोग्य साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
सोचनीय तो यह कि राहुल गांधी ये कड़ी आलोचना कैसे सहते होंगे कुछ तो बात होगी राहुल में जो वो हँसकर झेलते रहते हैं।
हिंदुस्तान के हर एक नेता में एक नही सौ कमियां हैं हर कोई जानता है लेकिन राहुल गांधी की कमी सबको दिखती है.. एक शब्द गलत बोल दिया तो मीडिया उसको ब्रेकिंग न्यूज बना देती है.. एक सोचे समझे तरीके से मीडिया और कुछ लोग उन पर व्यक्तिगत दोषारोपण करते हैं.. किसी ने सच ही कहा है कि हजारों की भीड़ अगर झूठ को सच बोले तो मानना नही चाहिए।
गांधी परिवार से वैमनस्य भाव रखने वाले आजकल हर चौराहे पर मिल जाते हैं, कुछ लोगो का हिंदुस्तान में राजनैतिक कैरियर गांधी परिवार की बुराई करके ही चमक जाता है.. गांधी तो व्यर्थ में बदनाम हो रहे हैं, हिंदुस्तान के आधे से ज्यादा नेता वंशवाद का मजा ले रहे हैं और राहुल गांधी का विज्ञापन बना दिया जाता है.. शोशल मीडिया पर उनके खिलाफ सुनियोजित दुष्प्रचार की भरमार है, क्या ये सही है ? इस वक्त राहुल ये सब अकेले झेल रहे हैं कुछ तो बात है इस इंसान में…
जब विपरीत परिस्थितियां होती हैं तो अपनी परछाई भी साथ छोड़ देती हैं, ऊंट पर बैठे इंसान को कुत्ता काट लेता है.. वक्त की बात है पर समय भी करवट बदलता रहता है…
कोई भी उनके व्यक्तित्व और उन पर हो रहे हमलों के बाद उनके हालातो से जूझने की कोशिश को गहराई से देखेगा तो जरूर ही प्रभावित हो जाएगा। हर हालात में मुस्कुराने और शालीनता से पेश आने के तरीके का प्रशंसक हो जाएगा। वो एक नेकदिल इंसान हैं और गलत राजनीति, गलत राजनेताओं से वास्ता नही रखते अपने आसपास और अपनी पार्टी में भी।
राहुल ने कई अवसरों पर ये साबित किया है कि सफलता और विफलता से बढ़कर विचारधारा है। जिसके लिए वो लड़ रहे हैं।