
बिहार में विधानसभा चुनाव में अब करीब एक साल का ही समय बच गया है ऐसे में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जेडीयू नेता ने खुलेआम इसारो-इसारो में राजद को गठबंधन के लिए आमंत्रित कर दिया है।
जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि समान विचारधारा और समान कार्यक्रमों के कार्यकर्ताओं के लिए जेडीयू के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं।
जिन्हें पसंद हो आ जाएं, उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि हमलोग नीतीश जी और उसके पहले लालू जी के नेतृत्व में इकट्ठे मेंबर थे, इसमें कुछ अस्वाभाविक नहीं है।
राजद की बैठक में तेजस्वी यादव के नहीं पहुंचने और किसी तरह की संभावित फूट पर जेडीयू नेता ने कहा कि राजद और जेडीयू एक ही राजनीतिक परम्परा की वाहक रही है। दोनों का कैडर भी एक ही है। इसकी मेंबरशिप अलग से लेने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये ट्रांसफेरेबल है।
उन्होंने कहा कि राजद में जब निराशा होती है और वहां जब एडजस्टमेंट ठीक से नहीं होता है तो स्वाभाविक तौर पर वह जेडीयू का मेंबर बन जाता है। फ़ातमी जी हैं, उन्हें सेकंड नहीं लगा जेडीयू में शामिल होने में। केसी त्यागी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद से राजद में कुछ भी ठीक नहीं है। पार्टी के साथ ही लालू जी के परिवार में भी सब ठीक नहीं है, महागठबंधन में भी ठीक नहीं है।
केसी त्यागी के इस बयान से साफ लग रहा है कि पार्टी अंदर खाने विकल्पों पर विचार कर रही है क्योंकि बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद जेडीयू पर काफी दबाब दे ही है।
इससे पहले भी जब भी जेडीयू ने अपना पाला बदला है तब केसी त्यागी ने इसका इसारा पूर्व में ही दे दिया है।
बता दें कि बिहार की बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता को लेकर उनकी पार्टी में कई सवाल उठे हैं। लालू यादव के करीबी विधायक भाई वीरेंद्र कह चुके हैं कि किसी के रहने या नहीं रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी तेजस्वी की नेतृत्व शैली पर सवाल खड़े किए हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी जैसे दिग्गज नेता भी तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं।
ऐसे में कयास लगाया जा रहा कि तेजस्वी के सरकार में बिना शामिल हुए भी राजद और जेडीयू में गठबंधन हो सकता है और तेजस्वी सिर्फ पार्टी पर ध्यान देंगे।