भले ही सोनिया गांधी खुद को बीमार मानती हों और बढ़ती उम्र का हवाला देकर सक्रियता कम कर दी हो मगर कभी कभी उनका सक्रियता, आक्रमता और तेवर लोगो को सोचने पड़ मजबूर कर देता है कि क्या सोनिया ही अब कांग्रेस का मोर्चा संभालेंगी।
कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने जो तेवर लोकसभा में दिखाया उससे साफ है कि वो अन्य सांसदों से अधिक सक्रिय और आक्रमक है.
बुधवार को जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सदन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी की मांग की.
चौधरी ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा है कि उन्होंने कश्मीर में मध्यस्थ बनने का प्रस्ताव रखा था. चौधरी ने कहा कि इस मामले में ख़ुद प्रधानमंत्री स्पष्ट करें कि क्या उन्होंने ट्रंप के सामने कोई ऐसी पेशकश की थी।
दरसल ट्रम्प द्वारा जब से कहा गया है कि मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है तब से ही इस मुद्दे पर राजनीति हो रही है क्योंकि भारत ने हमेशा कहा है कि कश्मीर में किसी का हस्तक्षेप मंजूर नही है।
हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसे अनसुना करते हुए प्रश्न काल को जारी रखा. इसके बाद चौधरी यूपीए चेयपर्सन सोनिया गांधी के पास गए और उन्होंने राहुल की ग़ैरमौजूदगी में कमान संभाली.
बाक़ी के प्रश्न काल में कांग्रेस सांसद प्रधानमंत्री को बुलाने को लेकर नारे लगाने लगे.
सोनिया गांधी पूरे घटनाक्रम का नेतृत्व करती दिखीं. उन्होंने डीएमके के टीआर बालु के साथ भी बातचीत की और उनके सांसदों ने भी कांग्रेस का साथ दिया. ऐसा लग रहा था कि लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के नेता नहीं हैं बल्कि सोनिया गांधी हैं.
सोनिया ने लोकसभा में कांग्रेस की मांग को लेकर सदन में जारी सरगर्मी में लगभग विपक्ष को अपनी तरफ़ कर लिया. इसमें डीएमके के अलावा एनसीपी भी शामिल हुई.
सोनिया गांधी का ये तेवर कांग्रेस के लोगो को काफी पसंद भी आया।