
कांग्रेस पार्टी अपना महाधिवेशन बजट सत्र के बाद अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह में कर सकती है। मिली जानकारी के अनुसार इस बार यह महाधिवेशन दिल्ली से बाहर होने की संभावना है जिसमें राजस्थान में अधिवेशन होने की संभावना सर्वाधिक बताई जा रही है। पार्टी से जुड़े लोगों की मानें तो यह अधिवेशन कांग्रेस और देश की राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष का चयन होगा , जो विगत 6 माह से खाली जिस कारण सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रुप में कार्यभार संभाल रही हैं।
गौरतलब है कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद बेमन से सोनिया गांधी ने कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभाला था लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण वे बहुत लंबे समय तक इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार नहीं है.
राहुल गांधी इस बात पर अड़े है कि वे फिर से पार्टी की कमान नहीं संभालेगें पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्र बताते है कि अपनी मां सोनिया गांधी के लाख मनाने के बावजूद राहुल ने इस बात से इंकार किया कि वे फिर से पार्टी का अध्यक्ष पद संभाले. राहुल गांधी ने साफ किया कि जो फैसला वह एक बार कर चुके है उस पर पुर्नविचार संभव नहीं है.
सोनिया और राहुल के अध्यक्ष ना बने रहने की स्थिति में पार्टी के सामने अब इस बात का संकट है कि नया अध्यक्ष किसे चुना जाए. पार्टी के कुछ नेता मानते हैं कि प्रियंका गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर एक सामूहिक नेतृत्व को पार्टी के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाए जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ नये चेहरे भी शामिल हों. हालांकि कुछ नेता इस बात की मांग उठा रहे है कि गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को पार्टी का नेतृत्व सौंपा जाए. पार्टी के सांसद शशि थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी का अध्यक्ष कोई बने लेकिन उसके लिए विधिवत चुनाव कराए जाने चाहिए.
पार्टी के महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक जिसमें दलित, अल्पसंख्यक सहित ऐसे सभी वर्गो का उल्लेख होगा के अलावा किसानों को लेकर एक अलग प्रस्ताव लाने की तैयारी है।
कांग्रेस का पिछला अधिवेशन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद हुआ था ये कांग्रेस का 84वां अधिवेशन था।