बिहार पुलिस के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जो आंकड़े पेश किए उसके अनुसार राज्य में अपराध में बेतहाशा वृद्धि हुई है और अपराधी भी बेलगाम हैं।
बिहार में ऐसी चिंताजनक स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही राज्य के गृह मंत्री भी हैं और उन्हें सुशासन बाबू भी कहा जाता है। राजद के लालू सरकार के अपराध को जंगलराज कहकर सत्ता में आई जदयू-भाजपा की नीतीश सरकार में बढ़ते अपराध के कारण सरकार निशाने पर है।
बिहार में शायद ही कोई ऐसा दिन होता है जब आठ-दस लोगों की हत्याएं , बैंक डकैती, लूटपाट की घटनाएं नहीं होती हैं।
समीक्षा के दौरान जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए उसके अनुसार राजधानी पटना, वैशाली और मुज़फ़्फ़रपुर यह तीन ऐसे जिले चिन्हित किए गए जहां अपराधों में कमी नहीं आई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए एक नहीं कई आदेश दिए और कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए इन मे दो सबसे महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. थाने के स्तर पर थाना प्रभारी के नीचे दो प्रभारी होंगे. उनमें से एक अनुसंधान और दूसरा विधि व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होगा. साथ ही अनुमंडल के स्तर पर हर SDPO के नीचे एक DSP अब केवल अनुसंधान के लिए नियुक्त किया जाएगा।
बैठक के बाद अधिकारियों का रोना था कि नीतीश कुमार समीक्षा बैठक में ख़ुद फ़ैसले तो लेते हैं लेकिन जब अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात होती है तो वरिष्ठ अधिकारियों की अनुशंसा को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।