बिहार में होने वाले उपचुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

चुनाव आयोग ने देशभर में होने वाले उपचुनाव की घोषणा कर दी है। इन उपचुनाव में बिहार के 5 विधानसभा और एक लोकसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव का भी घोषणा किया गया है। चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के बाद अब बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं लोकसभा चुनाव में एक गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने वाली महागठबंधन में इन उपचुनावों के लिए बगावत का दौर शुरू हो गया है जहां आरजेडी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है तो वहीं कांग्रेस ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी ठोक दी है।

बिहार कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह उपचुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। पहले इन सीटों पर महागठबंधन के सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ने वाले थे लेकिन अब सभी दलों में आपसी तालमेल बनता नहीं दिख रहा है। जिसके चलते कांग्रेस सभी पांचों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है।

उपचुनाव में पहले आरजेडी 4 सीटों तो मांझी की पार्टी और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ने वाले थे।

वहीँ अब महागठबंधन में दलों में विवाद देखने को मिल रहा है।वहीँ कांग्रेस पार्टी ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता भी मानने से इंकार कर दिया है। बुधवार को कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक के बाद प्रदेश सचिव वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि पार्टी उपचुनाव की सभी सीटों पर उम्‍मीदवार देगी। इसके लिए नाम तय कर लिए गए हैं।

वहीँ दूसरी तरफ जीतन राम मांझी 1 सीटों पर अपना दावा ठोक चुके थे लेकिन आरजेडी ने उस सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया। महागठबंधन के सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी ने नाथ नगर विधानसभा सीट पर अपना दावा ठोक दिया। इसी को लेकर आरजेडी में हलचल तेज हो गई। जिसके बाद आरजेडी ने जल्द ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

बिहार में महागठबंधन में एक बार फिर से बिखराव की स्थिति में दिखाई दे रहा है। जहाँ पहले मांझी को लेकर आरजेडी में विवाद सामने आया तो वहीँ अब कांग्रेस भी तेजस्वी यादव के नेतृत्व से खुश नहीं है।

लोकसभा चुनाव परिणाम भी महागठबंधन के लिए निराशाजनक रहा था। 40 लोकसभा क्षेत्र में सिर्फ किशनगंज लोकसभा सीट पर है कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई थी जबकि बाकी बचे 39 सीटों पर मन को हार का सामना करना पड़ा था आरजेडी बिहार में पहली बार खाता भी नहीं खोल पाई थी जिसके बाद से ही आरजेडी के नेतृत्व सवाल उठने लगे थे

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