कांग्रेस से किसी नाराजगी के कारण बीजेपी मे गए नेताओके साथ ये दिक्कत अक्सर देखी गई है की वो अधिक दिन तक बीजेपी मे नही रह पाते हैं। इसका कारण शायद पार्टी मे वो इज्जत नही मिल पाना या फिर विचारधाराको सही ढंग से नही बदल पाना रहता है। लगता है फिर एक बार हिमाचल प्रदेश मे भी वही होने वाला है क्योंकि कांग्रेससे बीजेपी में गए अनिल शर्मा फिर एक बार कांग्रेस मे आने वाले हैं।
हिमाचलप्रदेश के मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा की कांग्रेस में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। भाजपा से निष्कासन की चर्चा से पहले ही सियासत गरमाई हुई है। अब कांग्रेस खेमे में अनिल शर्मा की वापसी को लेकर हलचल तेज हो गई है।
2017 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री अनिल अपने पिता और पुत्र के साथ भाजपा के हुए और चुनाव जीतने के बाद भाजपा का मंत्री पद हासिल किया। लेकिन लोकसभा चुनावों में अनिल शर्मा ने भाजपा से फिर दूरियां बना लीं।
इस बार बेटे आश्रय शर्मा ने भाजपा छोड़ कांग्रेस के टिकट से लोकसभा का चुनाव अपने दादा पूर्व केंद्रीय मंत्री के पंडित सुखराम की छत्रछाया में लड़ा
धर्म संकट का हवाला देकर अनिल शर्मा चुनाव प्रचार से दूर रहे।
वे अपने बेटे के साथ भी नहीं चले। लेकिन बेटे के गुपचुप समर्थन की चर्चाएं खूब रहीं। दबाव में आकर उन्हें भाजपा के मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और अब उनकी भाजपा से छुट्टी होना भी लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में अनिल शर्मा को अपने पिता और पुत्र के साथ दोनों की कांग्रेस पार्टी का सहारा है। चर्चा यह भी है कि पुत्र और दादा के साथ-साथ कांग्रेस भी अनिल के स्वागत के लिए तैयार है। हालांकि अनिल शर्मा कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहते।
उन्होंने अगला कदम कार्यकर्ताओं की राय पर छोड़ा है। बार-बार दल बदलने से कार्यकर्ताओं में गलत छवि जा रही है। इसलिए कार्यकर्ताओं की राय पर अगला कदम निर्भर करेगा। वहीं, मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा है कि उन्हें भाजपा से निष्कासन की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
लेकिन मिली जानकारी के अनुसार ये लगभग तय माना जा रहा है की अनिल शर्मा फिर एक बार कांग्रेस मे आकर अपनी नई राजनीति पारी खेल सकते हैं।