कांग्रेस-JDS को समर्थन नही देना पड़ा बसपा विधायक को महंगा

कर्नाटक के सियासी संकट का अंत हो गया। इसमे जहां कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों ने बगावत किया तो वही बसपा के इकलौते विधायक ने भी सरकार का समर्थन नही किया। जो बसपा विधायक के लिए महंगा साबित हुआ।

बीएसपी ने कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के दौरान गैर हाजिर रहने से बसपा सुप्रीमो मायावती ने पर अपने इकलौते विधायक को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

कर्णाटक विश्वास प्रस्ताव पर चार दिनों की बहस के बाद कर्नाटक में एच. डी. कुमारस्वामी सरकार मंगलवार को गिर गई है.

विधायको के बगावत का बाद से ही कुमारस्वामी की सरकार संकट में थी , हर संभव कोशिश करने के बाद भी जब विधायक नही माने तो अंत मे विश्वासमत के दौरान सरकार गिर गई।

लेकिन बसपा के विधायक का रुख बसपा को ही पसन्द नही आया। बीएसपी प्रमुख मायावती ने ट्वीट करके कहा, ‘कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देने के पार्टी हाईकमान के निर्देश का उल्लंघन करके बीएसपी विधायक एन महेश आज विश्वास मत में अनुपस्थित रहे जो अनुशासनहीनता है जिसे पार्टी ने अति गंभीरता से लिया है और इसलिए श्री महेश को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।’

225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के लिए 20 विधायक सदन में उपस्थित नहीं हुए थे। जिस कारण बहुमत के लिए 103 सीट चाहिए था और कांग्रेस-जेडीएस के पास 99 ही बच गया और बीजेपी ने 105 सदस्यों के सहायता से सरकार गिरा दी।

विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने विश्वास मत के बाद सदन के सदस्यों को बताया कि मुख्यमंत्री एच. डी. कुमार स्वामी विश्वास मत हासिल नहीं कर सके। उन्होंने बताया कि विश्वास मत के पक्ष में 99 जबकि इसके खिलाफ 105 मत पड़े हैं।

विश्वासमत हासिल नहीं करने के बाद कांग्रेस के तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता एच के पाटिल ने कहा- कांग्रेस-जेडीएस विश्वासमत हासिल नहीं कर सकी. यह हार इसलिए हुई क्योंकि हमारे विधायकों ने हमें धोखा दिया है. हम कई चीजों के प्रभाव में आ गए थे. कर्नाटक के लोग इस तरह की घोखेबाजी को सहन नहीं करेंगे.

14 माह पुरानी सरकार का अंत हुआ और साथ ही बसपा विधायक का अपने पार्टी हाईकमान के खिलाफ जाने के कारण उन्हें बड़ा झटका लगा।

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