जिनपिंग के भारत दौरे पर कांग्रेस ने किया राजीव गांधी की चीन यात्रा को याद

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के अवसर पर कांग्रेस ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चर्चा करते हुए उस दौर की बातों को ताजा किया जब 1962 के युद्ध के बाद भारत और चीन के बीच खटास आने के कारण रिश्ते में भी तनाव थी मगर 1988 में राजीव गांधी के प्रयासों से भारत और चीन के रिश्तो में सुधार हुआ जो कांग्रेस की अन्य सरकारों में भी नियंत्रण सुधरता गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर बैठक की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन यात्रा से दोनों देशों में सार्थक संवाद की शुरुआत हुई थी और यह सिलसिला लगातार जारी है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री मोदी ने उस मुद्दे की चर्चा की होगी जो भारत का पूर्णतः आंतरिक मामला है।’

उन्होंने कहा, ‘अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों और सरकारों का स्पष्ट रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और भारत के आंतरिक मामले में किसी तीसरे पक्ष के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है।’

शर्मा ने कहा, ‘भारत और चीन सिर्फ दो पड़ोसी, दो बड़ी अर्थव्यवस्था, दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देश ही नहीं हैं, बल्कि कई अनसुलझे मुद्दों की जटिलताओं के बावजूद दोनों के बीच साझेदारी बहुआयामी है।
भारत हमेशा से सार्थक रूप से संवाद करता रहा है। इसकी शुरुआत 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के चीन दौरे के समय से हुई।’

उन्होंने कहा कि इसके बाद संवाद का सिलसिला बना रहा और संप्रग सरकार के समय दोनों देशों के बीच परिपक्व समझ विकसित हुई। संवाद और संपर्क का यह सिलसिला अब भी चल रहा है।

गौरतलब है कि 1962 के चीन युद्ध के कारण भारत और चीन के बीच एवं 1971 के युद्ध में अमेरिका की बात ना मानने के कारण अमेरिका और भारत के बीच में तनाव उतपन्न हो गया था जिसे राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में काफी सुधारा जिसका फायदा कांग्रेस को वैश्वीकरण के बाद मिला।

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