ऐसा लगता है कि कांग्रेस अब तक लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबर ही नहीं पा रही है और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के दिमाग में यह हार छाई हुई है। पार्टी में नेताओं के बयानों से तो ऐसा ही लगता है कि पार्टी में अब भी सबकुछ ठीक नही हुआ है। खास तौर पर राहुल गांधी का अध्यक्ष पद छोड़ना पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर युवा नेताओं और कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा निराश किए हुए हैं इसलिए लगातार इस बात को लेकर बयान बाजी होती रहती है कि राहुल को अपना पद लोकसभा चुनाव के में मिली हार के बाद भी नहीं छोड़ना चाहिए था
5 महीने से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कांग्रेस के हालात में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है। एक तरफ सर पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है तो दूसरी तरफ पार्टी के भीतर से जिससे पता नहीं कांग्रेस कैसे उबरेगी, यह किसी को पता नहीं है। लेकिन इस बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि पार्टी को आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। उन हालातों का पता लगाना जरुरी है कि आखिर क्यों देश की सबसे पुरानी पार्टी आज कमजोर स्थिति में पहुंच गई है।
हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले भी सलमान खुर्शीद ने भी कांग्रेस के मौजूदा संकट पर दुःख प्रकट किया था। उन्होंने भी कहा था कि पार्टी को नए सिरे से सोचना चाहिये। जिसमें राहुल गांधी की बड़ी भूमिका हो सकती है। सलमान ने तो यहां तक कहा था कि राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिये था। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं के गिरे मनोबल को ओर धक्का पहुंचा है।
मालूम हो कि महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने है। लेकिन कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी चरम पर है, जिससे बीजेपी को चुनौती देने में अबतक कांग्रेस नाकाम रही है। महाराष्ट्र में संजय निरुपम ने बागी तैवर अपना लिया है तो हरियाणा में अशोक तंवर ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर चुनावी हलचल तेज कर दी है।
पार्टी के नेताओं का माने तो राहुल गांधी का इस्तीफा देना पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर युवाओं नेताओं का मनोबल तोड़ दिया है। इन लोगों की माने तो राहुल गांधी ने जिस तरह से युवा नेताओं को पार्टी से जोड़ा था उसके बाद इस तरह से उनका अध्यक्ष पद छोड़ देना युवा नेताओं के लिए सबसे बड़ा झटका है जिस कारण से पार्टी की स्थिति असमंजस वाली हो गई