
NRC और CAA को लेकर देश में पहले ही विरोध चल रहा था लेकिन NPR के आने के बाद इसका भी विरोध लगातार हो रहा है। जिसको लेकर सबसे पहले केरल सरकार ने इंकार कर दिया कि वह प्रदेश में एनपीआर लागू नहीं करेगी। NPR का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि 2011 में NPR को लाया गया था और जो 2020 में लाया गया उसमें काफी अंतर है। उनका कहना है इसमें कई ऐसे बिंदुओं को जोड़ा गया है जिसका जवाब देना NRC के लिए एक आधार तैयार करना जैसा होगा जिस कारण इसका विरोध जारी है।
देशभर में रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच कई राज्यों ने NPR को लागू नहीं करने का फैसला किया है। केरल के बाद अब मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने से इनकार कर दिया है। राज्य सरकार ने देश में एनपीआर को लेकर पैदा हुए संदेह की स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश में एनपीआर लागू नहीं करने का फैसला लिया है।
मीडिया से बात करते हुए मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि एनपीआर की नोटिफिकेशन को दिसंबर 2019 में जारी किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून इसके बाद आया है, ऐसे में यह अधिसूचना सीएए से संबद्ध नहीं है।
इसके अलावा सीएम कमलनाथ की ओर से इस संबंध में एक स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा गया है कि एनपीआर को मध्य प्रदेश में लागू नहीं किया जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि एनपीआर की अधिसूचना नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत नहीं की गई है। राज्य में जारी एनपीआर की अधिसूचना नागरिकता संशोधन अधिनियम-1955 की नियमावली 2003 के नियम 3 के तहत है। लेकिन बावजूद इसके सरकार ने तय किया है कि फिलहाल प्रदेश में एनपीआर लागू नहीं होगा।