संसद के स्थाई समितियों के पुनर्गठन के साथ ही नेताओ को अलग-अलग समितियों में जिम्मेदारी दी दी गई है। अधिकांश समितियों के अध्यक्ष बीजेपी नेता ही है मगर हर समिति में विपक्षी नेताओं को सदस्य के रूप में जगह दिया। जिसमें कांग्रेस के नेताओ को कुछ समितियों का अध्यक्ष भी बनाया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग विभागों के लिए बनाई गई कमेटियों में नए सांसदो को भी जगह दिया गया है। इन समितियों को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मंजूरी भी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अहमियत समझकर उनको बड़ी जिम्मेदारी दे दी है।
लोकसभा और राज्यसभा के लिए बनाई गईं कई स्थाई समितियों में मोदी सरकार ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को जगह दी है। इनमें कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम नहीं है लेकिन मनमोहन सिंह के लिए राज्यसभा की समितियों में जगह छोड़ी गई है।
वहीं चिदंबरम को विदेश मामलों की समिति का सदस्य बनाया गया है। ये स्थाई संसदीय समितियां अपने विभागाें के कामकाज की समीक्षा करती हैं और उसकी रिपाेर्ट सदन में रखती हैं।
मोदी सरकार ने राहुल गांधी की अहमियत समझते हुए उनको बड़ी जिम्मेदारी दे दी। पहले उनको विदेश मामलों की समिति का सदस्य बनाया गया था। हालांकि अब उनको यहां से हटाकर रक्षा मामलों की स्थाई समिति का सदस्य बना दिया गया है। लोकसभा की बात करें तो यहां कुल 24 स्थाई समितियां हैं। इनमें से 13 के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी से हैं। वहीं कांग्रेस के तीन अध्यक्ष हैं। बाकी के अध्यक्ष क्षेत्रीय दल के नेता है।
इन समितियों का काम सरकार को सुझाव देना और सरकारी कार्यो पर नजर रखना होता है। राहुल गांधी के अलावा शशि थरूर को भी इन समितियों में जगह मिला है।