पूर्वोत्तर राज्यों के नेताओ के साथ सोनिया गांधी ने कि बैठक , कहा पार्टी पूर्वोत्तर के जनता के साथ खड़ी रहेगी

असम में NRC लागू करने के बाद से ही पूर्वोत्तर की राजनीति में हलचल मची हुई है। NRC में लाखों लोगों को नाम शामिल नही होने के बाद से वहां पर जनता में गुस्सा और निराशा है। साथ ही खुद के साथ हो रहे अन्याय को लेकर जनता लामबंद हो रही है। जिस कारण प्रदेश की राजनीतिक दल इसको लेकर सक्रिय नजर आ रही है।

इसी को लेकर कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्वोत्तर को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की। जिसमें राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता (संशोधन) विधेयक सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस क्षेत्र में पार्टी की समन्वय समिति को मजबूत बनाने तथा एनआरसी से बाहर रह गए भारतीय नागरिकों को पूरी मदद मुहैया कराने भी निर्णय लिया गया। इस बैठक में पूर्वोत्तर के कई राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध किया, हालांकि अभी कांग्रेस आलाकमान ने इस विषय पर कोई फैसला नहीं किया।

इस पर पार्टी बाद में अपना रुख स्पष्ट करेगी। कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर उस वक्त चर्चा की है जब हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक को भुला नहीं दिया गया है और इसे फिर से लाया जाएगा।

हालांकि, पूर्वोत्तर के राज्यों की चिंताओं को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र से जुड़े विशेष कानून को नहीं छुआ जाएगा। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी और केसी वेणुगोपाल, पूर्वोत्तर के राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता मौजूद थे।

इस बैठक के बाद असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने बताया, ”एनआरसी को लेकर चर्चा हुई और यह निर्णय हुआ कि जो वास्तविक भारतीय नागरिक एनआरसी की सूची से बाहर रह गए हैं उनके साथ कांग्रेस पार्टी खड़ी रहेगी और उनको कानूनी और दूसरी हर तरह की मदद मुहैया करएगी।”

उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने निर्देश दिया कि एनआरसी से बाहर रह गए भारतीय नागरिकों की पूरी मदद की जाए। उन्होंने कहा, ”हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि भारतीय नागरिकों का नाम नहीं छूटना चाहिए। कांग्रेस की तरफ से हेल्प डेस्क बनाया गया है।

अपील याचिका और कागजों के बारे में मदद की दी जा रही है।” बोरा ने कहा, ”बैठक में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के बारे में चर्चा की गई। सारे नेताओं की राय ली गई और सभी इकाइयों ने इसके खिलाफ राय दी, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया।”

उन्होंने कहा, ”बैठक में पूर्वोत्तर के राज्यों के विशेष दर्जे को लेकर भी चर्चा की गई। नगा शांति समझौते को लेकर बात हुई। हमारा यह रुख है कि इस नगा शांति फ्रेमवर्क में किसी सीमावर्ती राज्यों के हित से समझौता नहीं होना चाहिए और सभी के हितों की सुरक्षा होनी चाहिए।”

बोरा ने कहा कि पूर्वोत्तर कांग्रेस समन्वय समिति को मजबूत बनाने का फैसला किया गया है। इसका गुवाहाटी में स्थायी कार्यालय बनाया जाएगा।

एक समय पार्टी पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी मगर अभी पार्टी वहां किसी राज्य में सत्ता में नही है ऐसे में पार्टी वहां के स्थानीय मुद्दों को तवज्जो देकर जनता को फिर खुद से जोड़ने का काम शुरू कर दी है। जिसके लिए पूर्वोत्तर के सभी राज्यो के नेताओ साथ-साथ केंद्रीय नेता भी सक्रिय है।

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