एक्शन में सोनिया गांधी , संगठन में बदलाव के साथ-साथ पार्टी के नेताओ के संग की बैठक

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही ये तय था कि कांग्रेस अपने सारे संगठन इकाई में फेरबदल करेगी। इसी क्रम में पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अपने संगठन को दुरूरस्त करना चाहती है।

कांग्रेस ने पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा के स्थान पर सलमान सोज को अपनी इकाई अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की है।

प्रोफेशनल कांग्रेस में देवड़ा के पास क्षेत्रीय समन्वयक (पश्चिमी क्षेत्र) की जिम्मेदारी भी थी जिसे अब राजीव अरोड़ा को सौंपा गया है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए उम्मीदवार भी घोषित किए हैं. इगलास से उमेश कुमार दिवाकर, टुंडला से स्नेहलता, गोविंदनगर से करिश्मा ठाकुर, जलालपुर से सुनील मिश्रा और घोषी से राजमंगल यादव को उम्मीदवार बनाया गया है.

वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी टकराव की खबरों की पृष्ठभूमि में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, प्रभारियों एवं प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की. इस बैठक में यह निर्णय हुआ कि चुनावी घोषणापत्र के वादों को त्वरित एवं सुचारू रूप से पूरा करने और इनकी निगरानी के लिए इन राज्यों में समन्वय समिति अथवा दूसरी प्रभावी व्यवस्था बनाई जाएगी. पार्टी आलाकमान ने संगठन और सरकार के बीच बेहतर संतुलन बनाने के मकसद से पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पुडुचेरी में ये प्रभावी व्यवस्था बनाने का फैसला किया है. कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में घोषणापत्र में जो भी वादे किए गए थे उसमें क्या प्रगति हुई है, इस बारे में सभी मुख्यमंत्रियों ने जानकारी दी. संगठन के बारे में प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के अंदर में समन्वय समिति की स्थापना की जाएगी जिससे ये घोषणापत्र के कार्यक्रम को तेजी से और सुचारू रूप से आगे बढ़ाया जा सके.

पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक सोनिया गांधी ने विधानसभा चुनावों में किए वादों को पूरा करने एवं इनकी निगरानी के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की जरूरत पर जोर दिया. कांग्रेस ने कहा कि पार्टी संगठन और सरकारों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था बनाने के विवरण को लेकर चर्चा चर्चा की गई. पार्टी ने यह दावा भी किया कि केंद्र सरकार कांग्रेस शासित राज्यों में केंद्रीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में अवरोध पैदा करने की कोशिश करती है .

अर्थव्यवस्था की सुस्ती पर भी हुई चर्चा
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण पैदा हुए हालात से निपटने के लिए कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी इस बैठक में चर्चा की गई. सोनिया के आवास पर हुयी इस बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने भाग लिया.

बैठक में मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया, राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, पंजाब की प्रभारी आशा कुमारी, प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पुनिया भी शामिल हुए.

पार्टी और सोनिया गांधी अब नही चाहती की कांग्रेस शासित राज्य में किसी तरह की कोई गड़बड़ हो जिससे पार्टी को सत्ता गंवाना पड़े क्योंकि पार्टी पहले ही बहुत कम राज्यों के सत्ता में सिमट गया है। कांग्रेस अब बीजेपी शासित राज्यो में विरोध करने के साथ-साथ अपने सत्ता वाले राज्य में खुद को मजबूत भी करेगी।

सोनिया ने पार्टी शासित मुख्यमंत्रियों एवं प्रभारियों के साथ उस वक्त बैठक की है जब इनमें से अधिकतर राज्यों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी टकराव की खबरें लगातार आ रही हैं. मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के धड़ों के बीच प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान चल रही है तो राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की बात लंबे समय से कही जा रही है. उसी तरह के पंजाब में अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच भी टकराव की खबरें हाल में आई थीं. सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

सोनिया ने बैठक में दिया दो टूक जवाब
वैसे, सोनिया ने गुरुवार को पार्टी महासचिवों-प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक में दो टूक कहा था कि पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारों को संवेदनशील, जवाबदेह और पारदर्शी शासन की मिसाल पेश करनी होगी तथा घोषणापत्र में किए वादों को पूरा करना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम जनता का विश्वास खो देंगे और परिणाम विपरीत होंगे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here