विश्व के कई देशों के साथ-साथ भारत भी कोरोना वायरस से लड़ रहा है। इस लड़ाई में सब एकजुटता के साथ आमजनों को बचाने में लगे हुए हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार तत्काल राहत की अनेक कदम उठा रही है। तो वहीं संकट के इस क्षण में विपक्षी पार्टियां भी सरकार को सकारात्मक सुझाव देकर जिम्मेदारी का परिचय दे रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज मोदी सरकार को सुझाव देते हुए दिहाड़ी मजदूरों के खाते में जल्द ही पैसे ट्रांसफर की मांग की है ताकि लोग घर मे रहें तो उन्हें आर्थिक समस्या न हो।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि देश संकट से जरुर निकलेगा।उन्होंने लोगों को सुझाव देते हुए कहा कि यदि हम सब एकांत और सोशल डिसटेंसिंग का पालन करेंगे तो निश्चित रुप से कोरोना के खिलाफ जारी जंग में भारत जीतेगा। उन्होंने मोदी सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि तत्काल जांच लोगों का हो सकें,इसके लिये शहरी इलाकों में अविलंब आपातकालीन अस्थायी अस्पताल बनाया जाना चाहिये ताकि स्थिति Panic न हो सकें।
उन्होंने लिखा कि देश की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लगा है। लेकिन इस समय कम से कम लोगों की जान जाएं,इस पर विशेष ध्यान सरकार को देना चाहिये। उन्होंने साथ ही केंद्र सरकार को दिहाड़ी मजदूरों को जल्द पैसे ट्रांसफर करने की भी पुरजोर अपील की है। इसके साथ ही लोगों को सस्ती राशन भी उनके घर तक आसानी से पहुंचे इसके लिये भी फौरी तौर पर कदम उठाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि चूंकि देश में व्यापारिक गतिविधि पूरी तरह ठप है तो ऐसे में टैक्स में छूट और आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये।
राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा
हमारा देश कोरोना वायरस से युद्ध लड़ रहा है। आज सवाल ये है कि हम ऐसा क्या करें के कम से कम जानें जाएँ? स्तिथि को नियंत्रण में करने के लिए सरकार की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। मेरा मानना है कि हमारी रणनीति दो हिस्सों में बँटी हो :
1.।कोरोना वायरस से जमकर जूझना
अ ) संक्रमण रोकने के लिए एकांत में रहना और बड़े पैमाने पर मरीज़ों की टेस्टिंग करना।
ब) शहरी इलाक़ों में विशाल आपातकालीन अस्थाई हॉस्पिटल का तुरंत विस्तार करना। इन चिकित्सा क्षेत्रों में पूर्ण ICU की सुविधा उपलब्ध हो।
2 अर्थव्यव्स्था
अ) दिहाड़ी मज़दूरों को फ़ौरन सहायता चाहिए।उनके अकाउंट में Direct कैश ट्रांसफ़र हो।राशन मुफ़्त उपलब्ध हो।इसमें कोई भी देरी विनाशकारी होगी।
ब) व्यापार ठप है।टैक्स छूट मिले, आर्थिक सहायता भी मिले ताकि नौकरियाँ बच जाएँ।छोटे-बड़े व्यापारियों को ठोस सरकारी आश्वासन मिले।