सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने अब जेपीसी जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर राफेल डील की सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल जस्टिस जोसेफ की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने जांच के दरवाजे खोल दिए हैं। अब पूरी गंभीरता से एक जांच शुरू होनी चाहिए।
राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मोदी सरकार को क्लीन चिट दिए जाने के बाद जहां एक तरफ बीजेपी खुशी मना रही है, और कांग्रेस से माफी की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी पर पलटवार किया है।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर मामले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने राफेल घोटाले की आगे की जांच का एक बड़ा दरवाजा खोल दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि बीजेपी बिना जजमेंट पढ़े ही खुशी मना रही है.
राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ की ओर से जारी फैसले के एक हिस्से की कॉपी को रेखांकित करते हुए उसकी तस्वीर ट्वीट की.
इस पोस्ट के साथ राहुल ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने राफेल घोटाले की जांच का एक बड़ा दरवाजा खोल दिया है. जांच अब पूरी गंभीरता से शुरू होनी चाहिए. इस घोटाले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन भी किया जाना चाहिए.”
सुप्रीम कोर्ट की ओर से राफेल मामले से जुड़ी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने के बाद कांग्रेस ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने किसी भी जांच एजेंसी को जांच से नहीं रोका है और ऐसे में बीजेपी सरकार को जीत का जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि इस ‘घोटाले’ की जांच करानी चाहिए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि इस मामले की जेपीसी से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. उन्होंने मीडिया से कहा-
-रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रवक्ता, कांग्रेस”सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच पुलिस सहित सभी एजेंसियां कर सकती हैं. कोर्ट ने कहा कि हमारा अधिकार क्षेत्र और दायरा सीमित है, लेकिन कोई भी जांच एजेंसी इस पूरे मामले की जांच कर सकती है. कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी भी जांच के रास्ते में कोई अड़चन नहीं है.”
सुरजेवाला ने कहा, ”सच्चाई यह है कि उन सवालों के जवाब सरकार ने नहीं दिए जो कांग्रेस और राहुल गांधी पूछते रहे हैं. पहला सवाल यह है कि बीजेपी सरकार ने 30 हजार करोड़ रुपये के ऑफसेट कांट्रैक्ट से हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स को क्यों अलग कर दिया?” कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया, ” यह ठेका 12 दिन पुरानी कंपनी को क्यों दे दिया गया? विमान की कीमत क्यों बढ़ाई गई? जब 126 विमानों की जरूरत थी तो 36 विमान क्यों खरीदे गए? रक्षा खरीद प्रक्रियाओं की अहवेलना क्यों की गई? बीजेपी सरकार ने देश को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी से उपेक्षित क्यों किया? विमानों की आपूर्ति आठ साल में क्यों की जा रही है? नरेंद्र मोदी ने विमान की बुनियादी कीमत में 40 फीसदी बढ़ोतरी क्यों की?”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को गुरुवार को क्लीन चिट देते हुए कहा कि पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं. कोर्ट ने अपने 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया.