
नागरिकता कानून को लेकर पूर्वोत्तर भारत में शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में पहुंच चुका है। बीते दो दिनों से दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में जारी हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए मंगलवार को विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पहुंचे विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से अपील की हालात की गंभीरता को देखते हुए वह सरकार को नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की सलाह दें।
मुलाकात के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस कानून के कारण पूर्वोत्तर में पैदा हुई स्थिति अब दिल्ली सहित पूरे देश में फैल रही है, जो एक बहुत ही गंभीर स्थिति है। उन्होंन कहा कि जिस तरह से दिल्ली में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ निपटा है, उससे हमें भय है कि यह आगे भी फैल सकता है
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय कैंपस में रविवार रात दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, “हमारे पास दिल्ली का एक उदाहरण है, जिसमें पुलिस ने जामिया के गर्ल्स हॉस्टल में घुसकर छात्रों को बाहर निकाला और उन्हें बेरहमी से पीटा। मुझे लगता है कि आप सभी ने भी देखा होगा कि मोदी सरकार लोगों की आवाज़ बंद करने और कानून लागू करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।” उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रपति से अपील की है कि आप सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की सलाह दें। उन्होंने कहा कि इस कानून से गरीबों को नुकसान होगा और बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित होंगे।
सोनिया गांधी के नेतृत्व में पहुंचे विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में एसपी नेता रामगोपाल यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, आरजेडी सांसद मनोज झा, सीपीआई नेता डी राजा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, कपिल सिब्बल, टीआर बालू समेत कई नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की।