लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद जब कांग्रेस में इस्तीफा का दौर चला तो पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी इस्तीफा दे दिया था क्योंकि अपना संसदीय सीट नही बचा पाए और बीजेपी उम्मीदवार सन्नी देओल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा मगर प्रदेश में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया जिस कारण से सुनील जाखड़ की इस्तीफा को नामंजूर कर दिया गया और उन्हें प्रदेश में सक्रिय हो जाने के लिए कहा गया।
सुनील जाखड़ को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरी झंडी देते हुए पंजाब का कमान उन्ही के पास रखने कहा। जिसके बाद पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ फिर से सक्रिय हो गए हैं तथा अब उन्होंने बकायदा प्रदेश कांग्रेस का कार्यभार फिर से संभाल लिया है। जाखड़ ने पिछले दिनों सोनिया से मुलाकात की थी तो उन्होंने प्रदेश कांग्रेस का कार्यभार संभालने के निर्देश दे दिए थे। जाखड़ ने दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों व राष्ट्रीय नेताओं की बैठक में भी भाग लिया।
जाखड़ ने अब कांग्रेस की प्रदेश इकाई की गतिविधियों को पुन: शुरू कर दिया है। अब उन्होंने अध्यक्ष के नाते 17 सितम्बर को चंडीगढ़ में एक महत्वपूर्ण बैठक कांग्रेस भवन में बुला ली है जिसमें सभी कांग्रेसी सांसदों, सभी विधायकों, पंजाब कांग्रेस के सभी उपाध्यक्षों, महासचिवों तथा जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधानों को आमंत्रित किया है।
इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी आशा कुमारी भी भाग लेंगी। इस बैठक का एजैंडा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 150वां जन्मदिवस मनाना, पार्टी के सदस्यता अभियान को फिर से शुरू करना तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम व भविष्य की रणनीति पर चर्चा करना है।
जाखड़ ने कहा कि पार्टी के सदस्यता अभियान के तहत उन लोगों को कांग्रेस के साथ जोड़ा जाएगा जो इसकी विचारधारा के साथ वर्षों से जुड़े हुए हैं। एक प्रश्र के उत्तर में उन्होंने कहा कि सदस्यता अभियान के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि भाजपा का एजैंडा सदस्यता अभियान से केवल मिस्ड कॉल से जुड़ा हुआ था परन्तु पार्टी व्यावहारिक तौर पर काम करते हुए कांग्रेस परिवार के साथ नए लोगों को जोड़ेगी जिनमें भारी गिनती में नौजवान वर्ग भी शामिल होगा।
सुनील जाखड़ प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम है और साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का पसन्द भी हैं और इस के साथ कांग्रेस परिवार के पुराने पीढ़ी से अपना दबदबा बनाए हुए हैं जिस कारण से सोनिया गांधी ने उन्हें ही दोबारा कमान दे दिया है।