मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए संसदीय पैनल का गठन कर दिया है। जिसमे कांग्रेस के नेताओ को किसी अहम कमेटी का अध्यक्ष ना बनाकर देश की उस परंपरा को तोड़ने का काम किया जिसमें विपक्षी पार्टी के नेताओ को कमेटी का दायित्व सौंपा जाता था जिससे कि सरकार और विपक्ष देश के लिए बनाए जा रही योजनाओं और नीतियों में साथ रहे।
हाल ही में बने नए संसदीय पैनल में कांग्रेस को महत्वपूर्ण वित्त और बाहरी मामलों की समितियों की अध्यक्षता से हाथ धोना पड़ा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समितियों से बाहर हो गए हैं, जबकि राहुल गांधी को विदेश मंत्रालय के पैनल से डिफेंस में शिफ्ट कर दिया गया है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह, जो कि पिछली लोकसभा में वित्त पैनल के सदस्य थे। उन्होंने किसी भी स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है।
हालांकि राज्यसभा के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि राज्यसभा के सभापति ने मनमोहन सिंह के लिए एक स्लॉट छोड़ा है।
कांग्रेस के नाम सुझाने पर उन्हें वहां जगह दी जाएगी। पूर्व पीएम मनमोहन को उनके पंसद के पैनल में शामिल किया जाएगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति से रक्षा मामलों की समिति में शिफ्ट कर दिया गया है। जबकि कांग्रेस की अध्यक्ष और रायरबरेली से सांसद सोनिया गांधी किसी भी पैनल में पहले की तरह नहीं रहेंगी।
बीजेपी के जयंत सिन्हा सभी महत्वपूर्ण वित्त पैनल का नेतृत्व करेंगे। पीपी चौधरी कांग्रेस नेता शशि थरूर की जगह विदेश मंत्रालय की समिति के चैयरमेन होंगे। राधा मोहन सिंह रेलवे समिति की अध्यक्षता करेंगे और जुअल ओराम रक्षा पैनल का नेतृत्व करेंगे। देर शाम लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बहुप्रतीक्षित विभाग-संबंधित स्थायी समितियों के पुनर्गठन की घोषणा की। स्थायी समितियों की भूमिका उनके संबंधित मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करना और उस पर गहन मंत्रणा करने के बाद प्रासंगिक मुद्दों या बिलों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।
कई नए नेताओ को भी इन कमेटी में लिया गया है जिसमे बंगाल की चर्चित तृणमूल कांग्रेस की सन्सद नुसरत जहां और अपने विवादित बयानों से हमेश सुर्खियों में रहने वाली प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल हैं।