
बीजेपी किस तरह से सत्ता के लिए अनैतिक ढंग से खेल-खेल रही है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण महाराष्ट्र है जहां पहले बीजेपी ने 70 हजार करोड़ के घोटाले के आरोपी अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया और अब घोटाले से जुड़े सारे मामले में क्लिनचिट दे कर उनके समर्थक विधायको को अपने पाले में दुबारा लाने की जुगाड़ में लग गई।
सरकार गठन के 48 घण्टा के अंदर ही महाराष्ट्र सरकार का भ्रष्टाचार पर कलई खुलकर सामने आ गया है क्योंकि अजित पवार को 70,000 करोड़ के सिंचाई घोटाले से जुड़े मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने क्लीन चिट दे दी है। एसीबी की ओर से इसको लेकर जानकारी दी गई है, जिसमें बताया गया है कि मामले की फाइल सोमवार को बंद कर दी गई है। इसमें अजित पवार इस मामले में किसी तरह से शामिल नहीं पाए गए हैं, उन्हें क्लीन चिट दी जा रही है। शनिवार को ही पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत करते हुए भाजपा को समर्थन दिया है।
अजित पवार पर भ्रष्टाचार से जुड़े कई केस चल रह हैं। इन्हीं में से एक सिंचाई घोटाले का मामला है। ये घोटाला 70 हजार करोड़ को बताया जाता है, जो कथित तौर पर राजनेताओें और नौकरशाहों की मिलीभगत से 1999 से 2009 के बीच हुआ। महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग का अजित पवार के पास था, ऐस में उनका नाम इस घोटाले में आया था।
सिंचाई घोटाले को लेकर भाजपा लगातार अजित पवार पर हमलावर रही थी। चुनाव प्रचार में फडणवीस ने तो अजित को जेल भेजने की भी बात कही थी। बॉम्बे हाईकोर्ट में अभी भी ये मामले चल रहा था। 28 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार को 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में आरोपी ठहराया था।
भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी के अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। अपने पार्टी से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार में शामिल होते ही अजित पवार को क्लीनचिट मिल गई जिससे स्पष्ट है कि बीजेपी सत्ता के लिए हर आरोपी से डील कर भ्रष्टाचार को बढ़ा रही है।