भूपेश बघेल का सावरकर पर तीखा प्रहार कहा माफी मांगने वाले को वीर कहना दुर्भाग्यजनक

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी छवि को हमेशा तेज तर्रार व दबंग की रखते है उनके भाषण सुनकर बीजेपी वाले हताश हो जाते है फिलहाल वो हरियाणा महाराष्ट्र चुनाव प्रचार मे व्यस्त हैं वही सावरकर पर छिडी बहस मे भी बघेल ने जोरदार अपना पक्ष रखा है जिसके बाद से बहस और छिड चुकी है लेकिन इसमे भूपेश बघेल बीजेेपी पर हावी होते नजर आ रहे हैं

दरअसल मीडिया के एक बड़े हिस्से द्वारा सावरकर को “वीर” कहकर संबोधित किए जाने की बघेल ने आलोचना की। बघेल के मुताबिक सावरकर को “वीर” कहना और फिर भारत रत्न देने की पेशकश करना सांप्रदायिकता के गंदले इतिहास को मिटाने की कोशिश करने जैसा है।

उन्होंने कहा कि, “आरएसएस-बीजेपी द्वारा प्रायोजित अभियान है ये। जिस सावरकर ने उस वक्त अंग्रज़ों से माफ़ी मांगी जब पूरा देश महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश साम्राज्यवाद से संघर्ष कर रहा था, उस सावरकर को वीर कैसे कहा जा सकता है?”

गौरतलब है कि अंडमान निकोबार की सेल्युलर जेल में बंद सावरकर ने 1911 से लेकर 1920 के बीच चार बार अंग्रेजों से लिखित में माफी मांगी थी। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक सेल्युलर जेल में पहुंचने के ठीक एक महीने बाद ही सावरकर ने 30 अगस्त 1911 को अंग्रेज़ों को पहला माफ़ीनामा लिखा था, जिसे चार दिन बाद ही 3 सितंबर को ब्रिटिश सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके दो साल बाद 1913 में सावरकर ने फिर से एक बार अंग्रेज़ों को माफ़ीनामा लिखा। सावरकर ने खुद अपने हाथों से गवर्नर जनल काउंसिल के सदस्य सर रेनाल्ड क्राडोक को अपना माफ़ीनामा सौंपा था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

हैरानी की बात ये है कि इस माफ़ीनामे में सावरकर ने खुद को अंग्रेज़ी हुकूमत की संतान बताया था। इसके चार साल बाद 1917 में सावरकर ने एक बार फिर कैदियों को दिए जाने वाले माफ़ीनामे के आधार पर दया याचिका पेश की थी। चौथी बार जुलाई 1920 में सावरकर ने अतीत की क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए अंग्रेजों से माफी मांगते हुए रिहाई की अपील की थी।

यह बात कम ही लोगों को पता है कि सावरकर की चौथी याचिका के खारिज होने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समेत महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक जैसे नेताओं ने सावरकर की “बिना शर्त रिहाई” की मांग की थी।

इससे पहले भी कई बार बघेल आरएसएस व बीजेपी पर खुलकर बोल चुके हैं उनकी इसी बेबाकी के चलते वो हमेशा चर्चा मे रहते है अगर सही मायनो मे इतिहास देखा व पढा जाये तो जो भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री ने कहा है वो एकदम सही है सावरकर की वीरता का कई पर भी उल्लेख नही है सावरकर की विचारधारा हमेशा से गांधी बोस व आजाद के खिलाफ ही रही है तभी उनको कभी राजकीय सम्मान इतने सालो नही मिला हैं

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