मोदी सरकार पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा बनाए गए संस्थानों को निजीकरण करने में लगी हुई है। जिससे सरकारी क्षेत्र में भी निजी कम्पनियों का दखल हो जाएगा। पहले ही कई संस्थाओ में निजीकरण लागू कर चुकी सरकार अब देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी BPCL में हिस्सेदारी बेचने की तैयारी मे है।
देश की मोदी सकरार एक और बड़ा फैसला करने जा रही है। सरकार भारत पेट्रोलियम में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार BPCL में अपने सरकारी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है। सरकार बीपीसीएल में अपनी कुल 40,000 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इस सौदे से मोदी सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपए के महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
सरकार भले ही वर्तमान में एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए बड़ी तेल कम्पनी का शेयर बेच रही हो मगर भविष्य में इसका नुकसान हो सकता है।
अगर यह योजना सफल होती है तो इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम का विलय तीन साल में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का तीसरा सबसे बड़ा विलय होगा।
हालांकि इसमें बैंकों का विलय शामिल नहीं है। आपको बता दें कि इससे पहले 2017-18 में ओएनजीसी-हिंदुस्तान पेट्रोलियम और 2018-19 में आरईसी और पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन का विलय किया गया था।
गौरतलब है कि बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 77,033 करोड़ रुपये थी, जिसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 53.29 फीसदी की है। जिसका मूल्य करीब 41,040 करोड़ रुपए है। सरकार इस हिस्सेदारी को बेचने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसके अलावा दो विकल्पों को विचार किया जा रहा है। बीपीसीएल को गैर-सार्वजनिक उपक्रम के हाथों बेचकर निजीकरण करने पर भी विचार किया जा रहा है।
सरकार जिस तरह से सरकारी कम्पनियों के निजीकरण कर रही है उससे सरकार को भविष्य में काफी नुकसान होगा और आने वाली भविष्य की सरकारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है मगर सरकार इन सब बातों का परवाह किए बिना ही सिर्फ अपने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है।