बदले के भावना से काम कर रही बीजेपी सरकार अब उन संस्थानों को अपने निशाने पर ले रही है जिससे कांग्रेस के लोग जुड़े हैं। सरकार सभी जगह से कांग्रेस के लोगो को हटाने का प्रयास कर रही है जिसके लिए वो देश के विरासत को भी नुकसान पहुंचा रही है।
राज्यसभा में तीन तलाक कानून पास कराने के बाद मोदी सरकार जालियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल (संशोधन) बिल, 2019 को भी पास कराने की मुहिम में जुट गई है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल 29 जुलाई को ही इसे लोकसभा में पेश कर चुके हैं। लेकिन, कांग्रेस पार्टी ट्रिपल तलाक की तरह इस विधेयक के खिलाफ में खड़ी हो गई है। आइए जानते हैं कि इस बिल में ऐसा क्या है, कि कांग्रेस विरोध कर रही है।
कांग्रेस का आरोप है कि इस बिल के जरिए मोदी सरकार देश के इतिहास और विरासत को तबाह करना चाहती है
पार्टी ने इसे देश की विरासत के साथ खिलवाड़ तक करार दिया है। पार्टी सांसद शशि थरूर ने संशोधन विधेयक के खिलाफ में यहां तक कहा है कि ‘इस बिल को रोका जाना चाहिए। यह एक नेशनल मेमोरियल है, हमारे इतिहास और विरासत को बर्बाद न करें।’जबकि, लोकसभा में विपक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए प्रह्लाद सिंह पटेल कह चुके हैं कि कांग्रेस ने इस मेमोरियल के लिए पिछले 40-50 साल में कुछ नहीं किया है।
गौरतलब है कि ये बिल 16वीं लोकसभा में भी पास हो चुका था, लेकिन तीन तलाक की तरह तब कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष ने राज्यसभा में इसे रोक दिया था। लेकिन, अब सरकार को भरोसा है कि वह इसे राज्यसभा से भी पास करा सकती है।
जालियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ऐक्ट, 1951 के अनुसार ट्रस्ट के पास मेमोरियल के कंस्ट्रक्शन और मैनेजमेंट की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही ऐक्ट में ट्रस्ट के ट्रस्टियों के चुनाव और उनके कार्यकाल का भी ब्यौरा दिया गया है। जवाहर लाल नेहरू के समय बने इस कानून के मुताबिक कांग्रेस का अध्यक्ष इस मेमोरियल ट्रस्ट का स्थाई पदेन सदस्य होता है। जाहिर है कि सरकार इस प्रावधान में बदलाव की सोच रही है। कांग्रेस की ओर से विरोध की असली वजह यही है। नए विधेयक में कांग्रेस अध्यक्ष की जगह लोकसभा में नेता विपक्ष को ट्रस्टी बनाए जाने का प्रावधान है। बिल में ये भी व्यवस्था है कि अगर कोई नेता विपक्ष नहीं होगा तो उसकी जगह लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्ट का सदस्य बनाया जाएगा। इस बिल में ट्रस्ट के किसी भी मनोनीत सदस्य को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले भी हटाए जाने की व्यवस्था है। जबकि, 2006 में हुए संशोधन में उनके लिए 5 साल का कार्यकाल निश्चित किया गया था।
मौजूदा वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। उनके अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और पंजाब के गवर्नर और मुख्यमंत्री भी बतौर सदस्य शामिल हैं।
अब देखना होगा कि कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस बिल को रोकने में सफल हो पाती है या नही मगर इतना तो साफ हो गया कि सरकार कांग्रेस से जुड़े इतिहास को बर्बाद करने में लग गई है।