कश्मीर में लागू धारा 370 को खत्म करने की प्रस्ताव पेश होते ही देश की राजनीति में नया घटनाक्रम शुरू हो गया और लोग इसके पक्ष और विपक्ष में प्रतिक्रिया देने लगे।
केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जहां NDA के सारे दल एक जुट है तो पूरे विपक्ष में बिखराव देखा गया। इस बदलाव के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में फूट पड़ती दिख रही है। कांग्रेस जहां नए घटनाक्रम के कई प्रावधानों को लेकर सरकार के विरोध में है तो कई वरिष्ठ नेता और विधायक इस मुद्दे पर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के फैसले के साथ खड़े दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश से विधायक अदिति सिंह हो या महाराष्ट्र के मिलिंद देवरा या फिर वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, सभी केंद्र सरकार के फैसले को कश्मीर की जनता के हित में लिया गया फैसला करार दे रहे हैं।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 में बदलाव को लेकर बोला इस अनुच्छेद के कारण राज्य में विकास नहीं हो रहा था और आतंकवाद पन रहा था। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर को केन्द्रशासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थायी नहीं है तथा स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।
कांग्रेस ने सरकार द्वारा लाए गए इस संकल्प का राज्यसभा में विरोध किया, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, ‘मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया हमेशा इस आर्टिकल के खिलाफ थे. भले देर से ही सही, इतिहास की एक गलती को अब दुरुस्त किया गया है. मैं इसका स्वागत करता हूं.’
महाराष्ट्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद मिलिंद देवरा भी केंद्र के फैसले के समर्थन में दिखे. उन्होंने राज्यसभा में इस मामले को लेकर हुई बहस के गलत दिशा में जाने पर खेद जताया. एक के बाद एक किए गए कई ट्वीट के जरिए मिलिंद देवरा कश्मीर में विकास और रोजगार के लिए इस फैसले का समर्थन करते दिखे.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह ने राज्यसभा में सरकार के संकल्प को मंजूरी मिलने के बाद ट्वीट कर अपनी सहमति जताई. उन्होंने अपने ट्वीट में देश के एकजुट रहने और खुद के भारतीय होने की बात कही. अदिति सिंह ने हैशटैग आर्टिकल 370 के साथ ‘युनाइटेड वी स्टैंड, जय हिंद’ लिखकर फैसले का समर्थन किया.
कांग्रेस में इस तरह का बिखराव आम बात बनता जा रहा है अगर पार्टी इस पर काबू नही पाती है तो ना ही वो सरकार का विरोध कर पाने में सक्षम हो पाएगी और ना ही वो खुद को मजबूत कर पाएगी।