हरियाणा चुनाव प्रचार में जमीनी मुद्दों के साथ आक्रमक रही कांग्रेस , बीजेपी बैकफुट पर

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रसार खत्म हो गया है अब बारी जनता के वोट डालने की है।  इस विधानसभा चुनाव में सभी दलों ने जमकर प्रचार किया खासतौर पर सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी। अगर इस चुनाव के प्रचार पर ध्यान दें तो बीजेपी जहां प्रदेश की मुद्दों और हरियाणा के आम जनों की बातों से दूर धारा 370 पर बात करती हुई नजर आई तो वहीं कांग्रेस ने अबकी प्रदेश के मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित रखा।
इस चुनाव में कांग्रेस के प्रचार की रणनीति काफी बदले हुए तेवरों में नजर आई है। पार्टी ने जनता और जमीन से जुड़े मुद्दों को ही उठाकर आक्रामक मुहिम छेड़ा है। मसलन, अभी नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत जो भारी-भरकम जुर्माने का प्रावधान किया गया है, पार्टी ने उसमें संशोधन की बात कहकर उन लोगों पर डोरे डालने की कोशिश की है, जो इसके कारण परेशानी महसूस कर रहे हैं। पार्टी ने कुछ ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जो चुनाव की हवा पलटने का दम रखते हैं। मसलन दलितों, युवाओं और महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस ने गहराई से काम किया है और उसे मतदाताओं तक पहुंचाने में भी कामयाब हो रही है।

यानि इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा के दलितों और कमजोर तबके के लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति भी बनाई है और उसपर अमल करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी है। उदाहरण के लिए दलितों को मुफ्त प्लॉट देने का वादा एक ऐसा ब्रह्मास्त्र है, जो सत्ताधारी बीजेपी की सारी उम्मीदों पर पानी फेर सकता है।

कांग्रेस ने इस चुनाव में महिलाओं को नौकरियों से लेकर लोकतांत्रिक संस्थाओं में आरक्षण दिलाने का वादा भी किया है। उनके लिए और कई तरह की आकर्षक योजनाओं पर बात की है जो उनके दैनिक जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को चूल्हा खर्च देने का भरोसा दिलाया है। युवाओं को नौकरी, बेरोजगारी भत्ता और रोजगार के नए अवसरों का विश्वास दिलाया गया है। इसी तरह किसानों को लोन माफी और मुफ्त बिजली जैसे आश्वासन दिए गए हैं। उन्हें प्राकृतिक आपदा के समय मुआवजा देने पर भी फोकस किया गया है। ये सारे ऐसे मुद्दे हैं, जो आम जनता की रोजमर्रा जुड़े विषय हैं और उनको दिल से प्रभावित करने वाले हैं।

कांग्रेस के संकल्प पत्र में दलितों और पिछड़े समाज के लोगों के लिए वादों का पिटारा पूरे विश्वास के साथ खोला गया है। पार्टी ने महात्मा गांधी बस्ती योजना के तहत अनूसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों को अपना घर बनाने के लिए 100-100 वर्ग गज की प्लॉट मुफ्त में देने का जो आश्वासन दिया है, इसे गेमचेंजर वादा माना जा सकता है। प्रदेश में करीब 20 फीसदी दलित आबादी है। दलित और पिछड़े समाज के 10वीं तक के छात्रों को 12,000 रुपये और 11वीं से 12वीं तक के छात्रों को सालाना 15,000 रुपये की स्कॉलशिप योजना भी इन मतदाताओं का जोश बढ़ा चुका है।

कांग्रेस के मुताबिक वो तहसील स्तर पर गरीबों के लिए ‘इंदिरा रसोई’ के नाम पर 10 रुपये की थाली का इंतजाम करवाएगी तो बुजुर्गों का पेंशन 5,100 रुपये कर देगी। महिलाओं को 55 की उम्र में ही यह पेंशन मिलना शुरू हो जाएगा। हरियाणा में महिलाओं की तरह सभी बुजुर्गों को भी रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी। गरीबों को 2 रुपये किलो चावल और गेहूं देने का भी वादा किया गया है।

हरियाणा में कांग्रेस ने मजदूरों से न्यूनतम वेतन बढ़ाने का भी वादा किया है। पार्टी ने कुशल कारीगरों को 14,000 रुपये, अर्ध कुशल कारीगरों को 13,000 रुपये, अकुशल कारीगरों को भी 12,000 रुपये मासिक वेतन दिलवाने का भरोसा दिलाया है। सबसे बड़ी बात ये है कि अबकी बार पार्टी ने बाकी चुनावों की तरह न सिर्फ आम लोगों से जुड़े मुद्दों को सिर्फ आवाज दी है, बल्कि उसने बेहद आक्रामक अंदाज में इसे उन लोगों तक पहुंचाया भी है, जिनके लिए पार्टी ये सब करने की सोच रही है।

कांग्रेस की बदली हुई तेवर से एकतरफा लग रहा  चुनाव कांटे की टक्कर में बदल गया और अब यह कहना मुश्किल लग रहा है कि हरियाणा में अबकी बार किसकी सरकार बनेगी क्योंकि आचार संहिता लागू होने के बाद से प्रचार खत्म होने तक कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी करते हुए खट्टर सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर जबरदस्त ढंग से बढ़त बनाई बनाई है



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