कांग्रेस नेता और देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं ग्वालियर क्षेत्र के लोगों के लिए आज भी महाराज के नाम से प्यार पाने वाले हमेशा अपने अलग-अलग अंदाजो से जनता का मन मोह लेने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के इन अंदाजों की चर्चा होती रहती है। उनका एक नया रूप विजयादशमी के अवसर पर देखने को मिला जिसने ना सिर्फ लोगो के दिलो को जीता बल्कि चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
राजतंत्र के खत्म होने के बाबजूद ग्वालियर में लोग अब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को महाराज कहते हैं. सच कहा जाए तो वो लोगों के लिए सिर्फ नाम से ही नहीं बल्कि दिल से भी महाराज हैं.
इसका नजारा बुधवार को उनके आयोजनों के दौरान देखने को मिला. एक कार्यक्रम में उन्होंने अजान होते ही मंच संचालन रुकवा दिया।
वह मराठा समाज के कंपू के शिवाजी पार्क में आयोजित दशहरा मिलन समारोह में शिरकत करने पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया. उसके बाद जब मंच पर सिंधिया बैठे ही थे कि थोड़ी ही देर बाद नमाज के पहले मस्जिद में अजान शुरू हो गई. अजान की आवाज आते ही सिंधिया ने हाथ का इशारा कर कार्यक्रम को रुकवा दिया. मजेदार बात ये है कि जब तक अजान चलती रही तब तक कार्यक्रम रुका रहा. जबकि अजान खत्म होने के बाद ही सिंधिया ने हाथ का इशारा कर कार्यक्रम का संचालन शुरू करवाया.
जब महाराज सिंधिया ने बजाया ढोल मराठा समाज के दशहरे मिलन समारोह में जब सिंधिया शिरकत करने पहुंचे तो सभी मराठी लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. दरअसल सिंधिया खुद मराठा राजवंश से आते हैं यही वजह है कि इस समाज के प्रति उनका विशेष स्नेह रहता है. कार्यक्रम में शुभारंभ करने की घड़ी आई तो मराठा समाज के लोगों ने सिंधिया से ढोल बजा कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ करने का आग्रह किया. इस आग्रह को सिंधिया ने नहीं टाला और खुद जाकर मंच पर ढोल बजाया और फिर दशहरा मिलन।
ग्वालियर के लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया को सिर्फ नाम से ही नहीं बल्कि दिल से भी महाराज मानते हैं. जबकि मराठा समाज के दशहरा मिलन समारोह में सिंधिया ने एक बार फिर ‘महाराज’ का अलग अंदाज देखा।
आज के समय मे दूसरे लोगों के भावनाओं का ख्याल रखने ही सही मायनों में दिल जीतने की सबसे बड़ी कला है और यह ज्योतिरादित्य सिंधिया को बखूबी आता है और यही कारण है कि वह सत्ता में रहे या ना रहे लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लोगो के लिए हमेशा महाराज रहते हैं।