फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने फ्रांस की एक वेबसाइट मिडियापार्ट पर लेख में दावे के साथ कहा है कि भारत सरकार ने रिलायंस डिफेंस को राफेल सौदा दिलवाने का दबाव डाला। इस रहस्योद्घाटन से सरकार के उस दावे की पोल खुल गई जिसमें कहा गया था की राफेल सौदा सरकार और सरकार के मध्य था (जी टू जी डील ), बहरहाल अभी सिर्फ एक मुद्दे पर जनता का ध्यान आकर्षित किया गया है और सौदों को भी देखें, ध्यान से देखें अनिल अंबानी के आगे पूरी सरकार नतमस्तक है और एक नाकारा व्यक्ति को सौदे पर सौदे दिलाकर मोदी ने देश को लाखों करोड़ का नुक़सान किया है।
रिलायंस डिफेंस को अब रिलायंस नेवल के नाम से जाना जाता है 2014 से पहले इस कंपनी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी मोदी जी के सत्ता संभालते ही मोदी जी की योजना मेक इन इंडिया,और स्टार्ट अप इंडिया का जादुई फायदा रिलायंस नेवल को हुआ, अब रिलायंस डिफेंस (नेवल) को इजराइल,अमेरिका,फ्रांस,रूस,एमिरेट्स,जर्मनी से अचानक लाखों करोड़ के सौदे मिलने लगे, ये सब हुआ प्रधानमंत्री मोदी जी की मध्यस्थता से,इस संदर्भ में कुछ तथ्यों पर नजर डालते हैं।
1. सन 2015 से 2016 के बीच 35 डिफेंस से संबंधित लाइसेंस रिलायंस डिफेंस को मिलते हैं जिसमें 12 लाइसेंस 3 दिसंबर 2015 को एवं 16 लाइसेंस एक साथ 5 मई 2016 को दे दिए जाते हैं जिसमें मिसाइल बनाने के लाइसेंस भी सम्मिलित है
2. साथ ही नागपुर में 10 सप्ताह से भी कम समय में 289 एकड़ जमीन हेलीकॉप्टर बनाने के लिए दे दी जाती है आश्चर्य चकित करने वाला तथ्य देखिए रिलायंस 16 जून 2015 में महाराष्ट्र सरकार के समक्ष जमीन के लिए आवेदन करती है और 26 अगस्त 2015 को देवेंद्र फड़नवीस एक कार्यक्रम में जमीन से सम्बंधित कागजात दे देते हैं ये भारत के इतिहास में पहली बार था जब इतने कम वक्त में इतनी बड़ी जमीन का आवंटन निजी कंपनी को कर दिया गया।
**रिलायंस डिफेंस जो अब रिलायंस नेवल है के साथ विभिन्न देशों की बड़ी हथियार निर्माता कंपनी और मोदी जी की विदेश यात्रा की टाइमिंग देखिए, सत्ता और औद्योगिक घरानों का घृणित गठबंधन नजऱ आएगा।
3. 24 दिसंबर ,2015 को रूस की कंपनी अलमज़ अन्ते ने रिलायंस डिफेन्स के साथ लगभग 42 हज़ार करोड़ का समझोता किया, इससे पहले दिसंबर सन 2015 के प्रथम सप्ताह में भारत सरकार ने रूस के साथ चार एस-400 एयर डिफेन्स सिस्टम खरीदने का 32000 हज़ार करोड़ का सौदा किया, गौर करें मोदी जी 23 और 24 दिसंबर 15 को रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे।
4. 30 मार्च 2016 को इजराइल की कंपनी राफेल के साथ रिलायंस डिफेन्स (अनिल अम्बानी) की 65000 करोड़ की डील फाइनल हुई, और इससे पहले मार्च 3, 2016 को भारत सरकार ने दो अवाक्स ( वार्निंग सिस्टम) खरीद का सौदा इज़राइल सरकार के साथ किया और इसके तुरंत बाद इजराइल की कौन्सेल जनरल येल हशवित ने कहा की मोदी जी शीघ्र ही इज़राइल की यात्रा करेंगे।
5. रिलायंस डिफेंस ने 21 जून 2017 को फ्रांस की कंपनी थेल्स के साथ राडार,और एयरबोर्न सिस्टम बनाने के लिए जॉइंट वेंचर बनाने का समझौता किया,इससे पहले सिंतबर 2016 में भारत फ्रांस के साथ 36 राफेल जेट विमान का समझौता 59000 करोड़ रुपये में कर चुका था यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि थेल्स , दसॉल्ट फाल्कन जो कि भारत को राफेल उपलब्ध करवाएगा,उसे तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाता है।
6.रिलायंस नेवल ने 3 अक्टूबर 2016 को फ्रांस की कंपनी दस्सोल्ट एविएशन के साथ रक्षा क्षेत्र में एक समझौता किया जिसके तहत दोनों कंपनी मिलकर भारत में राफेल के लिए कंपोनेंट बनाएंगे। इससे ठीक 10 दिन पहले भारत और फ्रांस 36 राफेल फाइटर जेट का सौदा 526 करोड़ के पूर्व भाव के स्थान पर 1570 करोड़ रु प्रति विमान कर चुके थे। कहने का सीधा अर्थ ये की फ्रांस ने राफेल डील के बदले में अनिल अंबानी की कंपनी के साथ राफेल के पुर्जे बनाने का समझौता किया।
7. दक्षिण कोरिया की LIG NEX 1 के साथ रिलायंस नेवल ने 17 अप्रैल 2017 को सामरिक संबद्धता का समझौता किया ,जिसके तहत रिलायंस नेवल को मिलिट्री हार्डवेयर बनाने में साउथ कोरिया की फर्म सहायता करेगी, इससे पहले 2015 में सिओल में मोदी जी दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हो चुके थे।
8. रिलायंस नेवल ने फ्रांस की देहर ऐरोस्पेस के साथ 22 जून 2017 को समझौता किया,इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जून 2017 के पहले सप्ताह में फ्रांस की यात्रा पर थे ये उनकी तीसरी फ्रांस यात्रा थीं।
9. 6 जून 2015 को अनिल अम्बानी की कंपनी रिलायंस पावर को बांग्लादेश में 3 हज़ार मेगावाट का गैस बेस्ड पॉवर प्लांट एवं एल एन जी टर्मिनल लगाने का समझोता हुआ, उस वक्त 6 से 7 जून प्रधानमन्त्री जी बांग्लादेश की यात्रा पर थे। प्रश्न पुनः अनिल अंबानी भारत में गैस बेस्ड पॉवर प्लांट नहीं लगा पाए, फिर बांग्लादेश सरकार ने उन्हें किस आधार पर चुना ?
*** अब आप जरा गहरा सोचें
10. एक तथ्य पर गौर करें की एक ऐसी कंपनी जो की एक वर्ष में ही बनी है( रिलायंस डिफेन्स) उसे रूस,इजराइल ,फ्रांस से लगभग 1 लाख करोड़ के डील किस बिनाह पर मिले, साथ ही ये संयोग कैसे हुआ की पहले भारत सरकार ने खरीद के हज़ारों करोड़ के आर्डर उन्हें दिए,फिर अनिल अम्बानी की कंपनी के साथ डील हुई, ये भी कैसे हुआ की 35 बड़े लाइसेंस एक ही झटके में दे दिए गए ?
11. यहां यह प्रश्न करना भी लाजमी है कि जब भारत में बी ई एल,बी ई एम एल,बी एच ई एल जैसी रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनी विधमान हैं तो बार भारत की तरफ से अनिल अंबानी की कंपनी को विभिन्न अंतराष्ट्रीय करारों के लिए आगे करने का क्या अर्थ है ?
12. डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस जो इस समझोते के बाद नई कंपनी बनी है उसका प्रोडक्शन उस ऑफसेट क्लॉज का हिस्सा है जो डील भारत और फ्रांस ने साइन की है जिसमें कहा गया है फ्रांस की यह कंपनी भारत में कुछ हिस्सा निवेश करेगी। सीधा अर्थ ये की उस ऑफसेट क्लॉज में दर्ज कंडिशन का सीधा फायदा रिलायंस को दिया गया था यह ऐसे ही है जैसे बिना किसी इंफ्रास्ट्रक्चर के जियो इंस्टीट्यूट( मुकेश अंबानी ) को भारत के बेहतरीन संस्थानों में शामिल कर लिया गया था ऐसे ही अनिल अंबानी की कंपनी को जिसे की रक्षा के क्षेत्र में सुईं बनाने का अनुभव भी नहीं था उसे दुनिया की बेहतरीन कंपनी ने राफेल के कलपुर्जे बनाने का काम दे दिया।
13. अब दूसरा तथ्य देखिए डसॉल्ट फाल्कन को फाइटर जेट की तकनीकी सहायता थेल्स उपलब्ध करवाता है, फाल्कन के लिए राफेल बनाने में थेल्स अहम भूमिका निभाता है अब इसी थैल्स ने 21 जून 2017 को एक ज्वाइंट वेंचर रिलायंस डिफेंस के साथ बनाया, ये ज्वाइंट वेंचर भी उसी ऑफसेट क्लॉज का हिस्सा है जो भारत और फ्रांस ने राफेल डील में साइन किए हैं।
14.यहां कुछ अन्य तथ्य पर भी गौर करें, ये सारे कंपोनेंट जहां बनेंगे उसके लिए जमीन नागपुर में फडणवीस की सरकार ने 10 सप्ताह से भी कम समय में उपलब्ध करवा दी, मतलब ये कि जहां निर्माण का एक पत्थर भी नहीं लगा था उस रिलायंस डिफेंस के साथ डसॉल्ट फाल्कन और थेल्स जैसी नामी गिरामी कंपनियों ने हजारों करोड़ के समझोते कर लिए, जबकि ये डील HAL को मिलनी चाहिए थी जिसे रखा क्षेत्र में बड़ा अनुभव है।
**** ज़रा देखें अनिल अंबानी कौन हैं
15. अनिल अंबानी की विश्वसनीयता पर गौर करते हैं रिलायंस कम्युनिकेशन और रिलायंस पावर सहित अनिल अंबानी ग्रुप पर 1 लाख करोड़ से ऊपर का कर्ज है जिसमें से 45000 करोड़ का जो कर्ज रिलायंस कम्युनिकेशन को दिया गया था वह कर्ज लगभग डूब चुका है कम्युनिकेशन का शेयर जो 1000 रु हुआ करता था 12 रु पर है वहीं कभी 450 रु बिकने वाला रिलायंस पावर 32 रु पर है और रिलायंस नेवल का शेयर भी 12 रू पर कारोबार कर रहा है।
16. अनिल अंबानी पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस के सवालों से लेकर 2 जी में संलिप्तता के आरोप भी लगते रहे है।
17. ऐसी स्थिति में विदेश यात्राओं के दौरान लगातार अनिल अंबानी को साथ ले जाना,और जिन देशों से भारत रक्षा के क्षेत्र में समझौता कर रहा हैं उन देशों की अंतराष्ट्रीय रक्षा समझौते में सम्बद्ध कंपनी के साथ अनिल अंबानी की कंपनियों के समझौते स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मोदी जी ने रिश्वत के रूप में अपने नाकारा मित्र के लिए रक्षा सम्बन्धी सौदे दिलवाए।
18. मोदी ने अपने चुनाव पूर्व के वादे कि वे रक्षा सौदों से बिचोलिये की अवधारणा को समाप्त कर देंगे की दिशा में कदम तो उठाया परन्तु वे स्वयं इस प्रक्रिया में भागीदारी और बिचोलिए की भूमिका के लिए अड गए।
19. इसका सबसे बड़ा फायदा विदेशी मुल्कों को हुआ, की उन्हें बिचोलिये के द्वारा सौदों में होने वाली देरी से निजात मिल गयी।
20. इस प्रक्रिया में सबसे बड़ा नुक़सान देश का हुआ, अगर ये सौदे देश के संविधान द्वारा निर्धारित तय प्रक्रिया द्वारा दिए जाते तो ये देश की किसी सक्षम कंपनी को ही मिलते, देश की तकनीकी उन्नति भी होती और देश को रोजगार भी मिलता, परन्तु रिलायंस नेवल जैसी शून्य कंपनी को ये सौदे दिलवा कर देश के लिए सारी संभावनाओं को भी शून्य कर दिया गया।
आज के इस ‘उत्तर सत्य’ युग में जहां सत्य के ऊपर आभासी या काल्पनिक आवरण चढ़ा दिया जाता है वहां विभिन्न मसलों पर तथ्यात्मक परख ,तार्किक विवेचन के माध्यम से ‘उत्तर सत्य’ युग के वाहक कॉर्पोरेट सत्ता गठभन्धन को बेनकाब किया जा सकता है यकीनन ।
प्रो.अरविंद