सरकार और संगठन में बदलाव कर मध्यप्रदेश में कांग्रेस करेगी खुद को मजबूत

लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के 29 में से 28 सीट हारने के बाद मध्य प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस सरकार और संगठन में बड़े बदलाव करने जा रही है।

एक तरफ जहां कमलनाथ सरकार में शामिल मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा हो रही है, वहीं लोकसभा चुनाव में विधानसभावार आए नतीजों का अध्ययन किया जा रहा है। मंत्रियो के क्षेत्रों में हार पर मंथन चल रही है।

प्रदेश में छह माह पूर्व दिसम्बर 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त देते हुए लगभग डेढ़ दशक बाद राज्य की सत्ता हासिल की, मगर लोकसभा चुनाव में 29 में से 28 सीट गंवा दी।

जहां राज्य की विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से कांग्रेस ने 114 पर जीत दर्ज की थी वहीं लोकसभा चुनाव में राज्य की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा को जीत मिली और कांग्रेस सिर्फ एक सीट तक सिमट गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 19 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली। सरकार के 29 मंत्रियों में से सिर्फ चार मंत्री लाखन सिंह यादव, इमरती देवी, ओंकार सिंह मरकाम और उमंग सिंघार के क्षेत्रों में ही कांग्रेस उम्मीदवार आगे रहे। वहीं 25 मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवारों को पिछड़ना पड़ा। इससे कई मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड बिगड़ा है।”

प्राप्त जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार और संगठन में कसावट की तैयारी तेज कर दी है। वह एक तरफ मंत्रियों के साथ विभागीय समीक्षा कर रहे हैं, वहीं संगठन के भावी चेहरे की तलाश में भी लगे हैं। आगामी दिनों में मंत्रिमंडल से कई चेहरों के बाहर होने और कुछ के अंदर आने की संभावना है। नए प्रदेशाध्यक्ष की ताजपोशी भी तय है।”

पिछले दिनों कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें के पार्टी के बड़े नेताओं ने चुनाव में हार, पार्टी संगठन, मंत्रिमडल विस्तार से लेकर निगम-मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति पर चर्चा की गई थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ 14 जून से दिल्ली के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरान वह पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा अन्य नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इन मुलाकातों में भावी रणनीति पर चर्चा की संभावना है। इसके बाद मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता हैं।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है, “राज्य मंत्रिमंडल के 29 सदस्यों में मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा प्रमुख नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों की संख्या ज्यादा है। मंत्रिमंडल बदलाव में तीनों ही अपने एक-एक समर्थक को बाहर कराने वाले हैं और नए लोगों को स्थान दिए जाने की संभावना है। जो विधायक मंत्री नही बन सकेंगे उन विधायकों को निगम और मंडलों का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।”

जहां तक नए प्रदेशाध्यक्ष का सवाल है, इस पद को लेकर फिलहाल दौड़ में पूर्व मंत्री अजय सिंह, रामनिवास रावत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, वर्तमान मंत्री बाला बच्चन और सज्जन वर्मा शामिल हैं।

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