CAA के वर्तमान ढाँचे से नाखुश नेताजी बोस के पौत्र ने केंद्र सरकार को दी ये सलाह

देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अब तक संग्राम छिड़ा हुआ है। हर दिन कोई न कोई नया नेता और नए हस्ती इसके समर्थन और इसके विरोध में तर्क दे रहे हैं।

कई ऐसे हस्ती सामने आए हैं जो इसको लेकर सरकार की खुलकर आलोचना की है तो कई लोगों ने इस कानून में सुधार की बात कही है। ऐसे में देश की स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अग्रणी भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से भी अब इसको लेकर विरोध शुरु हुआ है।

दरसल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र एवं पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्र बोस ने कानून के वर्तमान ढांचा का विरोध करते हुए कहा कि इसमें मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि नागरिकता के मुद्दे पर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों-दोनों ही द्वारा ”भय का माहौल” उत्पन्न किया जा रहा है।

उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत मुस्लिमों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मुद्दे पर एक लिखित स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए। बोस ने कहा, ”नागरिकता के मुद्दे पर भय का माहौल उत्पन्न किया जा रहा है।

सत्तारूढ़ और विपक्षी दल-दोनों ही यह काम कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”केवल इस वजह से कि (कानून) संसद ने पारित किया है, इसका इस्तेमाल प्रदर्शनों की अनदेखी कर लोगों को डराने के लिए नहीं किया जा सकता। यही बात विपक्षी दलों पर भी लागू है जो जानबूझकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।”

बोस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्पष्ट उल्लेख कर चुके हैं कि कानून धर्म आधारित नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ अन्य नेताओं के बयानों से भ्रम उत्पन्न हो रहा है। बोस ने कहा, ”इससे निपटने के लिए, मेरा मानना है कि नए कानून में यह उपबंध शामिल किया जाना चाहिए कि सीएए धर्म आधारित नहीं है…और मुसलमानों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।”

बोस ने पूर्व में भी सीएए में मुसलमानों को शामिल किए जाने की पैरवी की थी। उन्होंने पिछले महीने ट्वीट किया था, ”यदि सीएए 2019 का संबंध किसी धर्म से नहीं है तो हम केवल हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और पारसियों का ही उल्लेख क्यों कर रहे हैं? मुसलमानों को भी शामिल क्यों नहीं करते? पारदर्शिता होनी चाहिए।”

नेताजी के पौत्र चंद्र बोस के बयानों और ट्विटर से स्पष्ट है कि भले ही बीजेपी मुसलमानों को इस कानून में नागरिकता ना देने की बात कर रही हो मगर अन्य हस्तियों के तरह नेताजी बोस का परिवार भी अब इसमें सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की बात केंद्र सरकार से कर रहा है।

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