नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी में मायूसी का माहौल है। हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी तक अपने इस्तीफे की बात पर अड़े हुए हैं। वहीं, पार्टी के बड़े नेता इस बात के लिए तैयार नहीं हैं कि अध्यक्ष पद से राहुल गांधी इस्तीफा दें। आज दिल्ली में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सर्वसम्मति से यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया। बैठक में कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित सांसद पहुंचे, जिन्हें राहुल गांधी ने अपना पहला संदेश दिया।
कांग्रेस संसदीय बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘लोकसभा में हमारे केवल 52 सांसद हैं, लेकिन मैं आपको गारंटी देता हूं कि हमारे ये 52 सांसद भारतीय जनता पार्टी से हर मोर्चे पर मुकाबला करेंगे। हम बीजेपी को हर रोज पटखनी देने के लिए काफी हैं। कांग्रेस पार्टी के हर सदस्य को यह याद रखना चाहिए कि आप में से प्रत्येक नेता संविधान बचाने के लिए लड़ रहा है, बिना किसी धार्मिक भेदभाव के देश के हर आदमी के लिए लड़ रहा है। भाजपा के नेता हमसे लड़ने के लिए नफरत और गुस्से का इस्तेमाल करते हैं और आने वाले समय में आपको इसका आनंद मिलने वाला है। हमें आक्रामक होना होगा। यह वक्त आत्मनिरीक्षण और पूरी तरह से बदलाव का है।’ गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा पर यह राहुल गांधी का पहला हमला है।
बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया। इस बैठक में कांग्रेस के सभी राज्यसभा और नवनिर्वाचित 52 लोकसभा सांसद पहुंचे थे। इससे पहले 16वीं लोकसभा में भी सोनिया गांधी ही कांग्रेस संसदीय दल की नेता थीं। संसदीय दल के नेता के तौर पर सोनिया गांधी के चुने जाने के बाद कांग्रेस नेता के. सुरेश ने कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता का चुनाव करेंगी। हम सदन में विपक्ष के नेता और डिप्टी स्पीकर के पद का दावा करेंगे। इस मामले पर सोनिया गांधी जल्द दी फैसला लेंगी।’ वहीं, सोनिया गांधी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एक मजबूत और प्रभावी विपक्षी पार्टी साबित होगी, जो भारत के संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करेगी।’