देश भर में बढ़ते मतोब लिंचिंग की घटना देश के लोगो के लिए चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि पता नही कब कौन सा उग्र भीड़ किसे अपना शिकार बना ले। राजस्थान में भी कुछ ऐसी घटना सामने आई जिसके बाद वहां इसके विरुद्ध कड़ी कारवाई करने को लेकर सरकार से लगातार मांग की जा रही थी।
जनता की मांग को ध्यान में रखते हुए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में विशेष बिल पेश किया है, जिसमें मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग के आरोपियों के लिए आजीवन कारावास और पांच लाख रुपए तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।
राजस्थान में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में दो बिल पेश किए। बता दें कि राजस्थान अप्रैल 2017 में अलवर मॉब लिंचिंग केस में देशभर में बदनाम हो चुका है। इसमें भीड़ ने पेहलू खान को गोतस्करी के शक में पीट-पीटकर मार डाला था।
राजस्थान सरकार की ओर से पेश किए गए बिल में लिंचिंग को विस्तार से परिभाषित किया गया है। साथ ही यह भी प्रावधान रखा गया है कि मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच इंस्पेक्टर से नीची रैंक का पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। मॉब लिंचिंग बिल के प्रावधानों के तहत पुलिस महानिदेशक की ओर से राज्य समन्वयक नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक एसपी जिला समन्वयक होंगे।
इस कानून के बनने से उम्मीद है कि मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग जैसे अपराधों में कमी आएगी क्योंकि इस तरह के अपराध ना सिर्फ घर को बर्बाद करते हैं बल्कि समाज को भी शर्मसार कड़ते हैं।
अगर भविष्य में इस तरह का कोई घटना होता है तो आरोपी को नए कानून के तहत सजा दी जाएगी। जिसके अनुसार इस तरह के मामलों में चोट लगने पर आरोपी को सात साल की सजा और एक लाख तक के जुर्माने, गंभीर चोट लगने की स्थिति में 10 साल तक की सजा और 25 हजार से तीन लाख तक का जुर्माने तथा मौत हो जाने पर आजीवन कारावास और एक लाख से पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।
उम्मीद है कि ऐसी कानून से इस तरह के घटना पर रोक लगेगा और अपराधी अब ऐसी घटना नही करेंगे।