सोशल मीडिया पर भड़क रहा है लोगों का गुस्सा मोदी,नीतीश और केजरीवाल सोशल मीडिया के निशाने पर!

मजदूरों के घर लौटने के लिए अभी भी पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाए हैं, मजदूरों की भारी भीड़ अभी भी सड़क पर है। लोग नदी नाले और बॉर्डर पार करके छुपते छुपाते अपने गंतव्य तक पहुंचने की जद्दोजहद में हैं। सरकार के रजिस्ट्रेशन, ऑन लाइन आवेदन, पी डी एफ और व्हाट्स ऐप के झंझंटो ने उनकी मुश्किल बढ़ाई हुई है। सरकार की गैर जरूरी अड़चनों ने उन्हें अपने ही देश की राज्यों और जिलों की बाउंड्री में फसा कर रख दिया है। भूख, प्यास,बन्दी,बेरोजगारी,अभाव और बद इंतजामी ने उन्हें रुला डाला है। जहां एक तरफ विदेश में फसे लोगों को जहाज भेजकर सरकार सभी आधुनिक सुविधाएं मुहैया करा रही है वहीं मजदूरों के मन में पुलिसिया लाठी का डर बैठा हुआ है। दिलचस्प यह है कि सरकार की ओर से गरीब मजदूरों के लिए जो इंतजाम किए गये हैं वे हवाई घोषणा ही साबित हो रहे हैं। उनसे किराया भी वसूला जा रहा है और जो नियमों की लिखा पढ़ी उन पर थोपी गई है उससे वे ना इधर के है ना उधर के। वे ना प्रवासी हैं और ना अप्रवासी। सरकारें झूठी घोषणा और इन मजदूरों के दर्द से ध्यान भटकाने के लिए अन्य अनर्गल प्रलाप करने में भी जुटी हैं। मजदूरों में सरकारों की इन हरकतों से आक्रोश भड़क रहा है। कुछ एक चैनल मजदूरों के इस दर्द को दिखा भी रहे हैं लेकिन सोशल मीडिया इन मजदूरों के आक्रोश और उनकी दुर्गति का बखान करने का बड़ा जरिया बना हुआ है। मजदूरों की पीड़ा, भूख प्यास, पैदल चलने, खाने के लिए झपट पड़ने, परिवहन के साधनों का इस्तेमाल करने की हड़बड़ी के फोटो और वीडियो ट्रेंड बनाए हुए हैं। राजनेताओं में सोशल मीडिया पर मजदूरों के ट्रेंड होने से घबराहट भी सामने आ रही है। मजदूरों की पीड़ा का संज्ञान ले कर समाधान करने के बजाय राजनेता सोशल मीडिया को ही बैन करने तक की बात कह रहे हैं। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी का एक ऐसा ही बयान अा भी चुका है।
सोशल मीडिया में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुख्यत मजदूरों के निशाने पर हैं। बीस लाख के पैकेज के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोशल मीडिया ही नहीं देश के इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया और इकोनॉमिक्स टाइम्स जैसे बड़े अखबारों में काफी आलोचना और किरकिरी हुई है। पैकेज को हवाई घोषणा और मजदूरों व किसानों के लिए उसमे किसी ठोस प्रावधान के ना होने से लोग बोखलाहट की स्थिति में हैं। बिजली बिलों और स्कूल फीस माफ ना किए जाने और बिजली कम्पनियों को 90000 करोड़ दिए जाने को लेकर मध्यम वर्गीय लोग भी मोदी की खिलाफत में अा जुटे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू से ही मजदूरों के बारे में नकारात्मक रवैया अख्तियार किए जाने के कारण लोग बहुत गुस्से में हैं। वीडियो में बहुत सारे ग्रुप में चल रहे मजदूर नीतीश के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और उन्हें गाली गलौच तक कर रहे हैं। दिल्ली, मुंबई,नोएडा, अहमदाबाद, सूरत जैसे औद्योगिक क्षेत्र में बिहारी मजदूरों की तादाद सबसे ज्यादा है। नीतीश सरकार ने बिहार राज्य के अपने इन नागरिक मजदूरों के बारे में कोई राहत व उनके घर लौटने की व्यवस्था आदि पर कोई निर्णय नहीं लिया और ना ही अन्य राज्यों में फसे इन मजदूरों को निकालने के लिए वहां की सरकारों से कोई समन्वय ही स्थापित किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं करने के आरोप मजदूर सोशल मीडिया में जमकर लगा रहे हैं। दिल्ली परिवहन निगम की बसों में मजदूरों को भरकर बॉर्डर पर बेआसरा छोड़ देने की भी केजरीवाल की आलोचना हो रही है। आफत के इस काल में मजदूरों ने अपनी तरफ से इस सबके लिए जिम्मेदार नेताओ की पहचान कर उनके खिलाफ आक्रोश को सोशल मिडिया पर जमकर निकाला है। ऐसा नहीं है कि इन नेताओ और पार्टियों को इस आक्रोश की जानकारी ना हो लेकिन अफसोस यह है कि ये तीनों ही नेता आक्रोश, आलोचना, भड़ास और मजदूरों द्वारा उन्हें भला बुरा कहने के बावजूद उनके लिए कोई ठोस इंतजाम करने का प्रयास करते तक नजर नहीं आ रहे हैं

:- सत्यपाल चौधरी

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