सोनिया गांधी ने पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए उठाया बड़ा कदम

सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनने के साथ ही पार्टी मे कमजोर हो रही संगठन और पार्टी नेताओ दोनों को सुधारने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। सोनिया अब नेताओ को सक्रिय और सचेत रहने के साथ साथ जमीन पर काम करने का निर्देश दे चुकी हैं।

पार्टी मे इन दिनों अनुशासन की भी कमी देखी जा रही थी जिसे दुरुस्त करने के लिए कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनते ही सोनिया गांधी ने पहला बड़ा और सख्त फैसला किया है। सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से कार्यसमिति की बैठक में मोबाइल फोन लेकर नहीं लेकर आऩे को कहा है। 10 अगस्त की रात को कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना था, अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के बाद सोनिया गांधी ने सबसे पहला कदम पार्टी में अनुशासन सुधारने को लेकर लिया है और यही वजह है कि कार्यसमिति की बैठकों में मोबाइल फोन बंद कर दिए गए हैं।

सोनिया गांधी को आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के लिए कई अहम फैसले करने हैं, पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना और सहयोगी दलों के साथ तालमेल बिठाना सोनिया गांधी के लिए मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है।

आने वाले दिनों में दिल्ली, झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनावों में हार के बाद देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरकर उन्हें विधानसभा चुनावों में पूरी ताकत झोकने के लिए तैयार करना भी सोनिया गांधी के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है। पार्टी के कई बड़े नेता और पदाधिकारी पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस में संगठनात्कम तौर पर प्रदेश स्तर के कई पद खाली पड़े हैं, ऐसे में उन पदों पर नए चेहरों की नियुक्ती को लेकर भी सोनिया गांधी को ही फैसला करना है। दिल्ली और झारखंड में चुनाव हैं और इन दोनो ही जगहों पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी हुई है, ऐसे में सोनिया गांधी आने वाले दिनों में इन दोनो जगहों के लिए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा सकती हैं।

हरियाणा में भी जल्द चुनाव होने वाले हैं लेकिन वहां पर पार्टी में अंदरूनी कलह बढ़ती जा रही है, चुनावों से पहले हरियाणा में संगठन को इकट्ठा करना सोनिया गांधी के लिए बड़ी चुनौती होगा। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर लड़ना और सीटों का बटवारा करना भी सोनिया गांधी को ही देखना है।

भले ही सोनिया अध्यक्ष पद पुनः संभालते ही सक्रिय हैं पर उनके लिए आने वला समय काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।

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