सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद संभालते ही फिर से एक बार पार्टी मे एकजुटता और सक्रियता लाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कई प्रदेशो के नेताओ को दिशा-निर्देश दिया।
जब पूरा देश ईद का जश्न मना रहा था तभी अध्यक्ष पद संभालने के बाद सोनिया गांधी पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय होने की हिदायत दे रही थी।
मिली जानकारी के अनुसार पार्टी जल्दी ही झारखंड में चुनाव की जिम्मेदारी नये नेतृत्व को सौंपेगी.
पार्टी सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने पार्टी में चल रही गुटबाजी को लेकर भी विचारमंथन किया. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस बात को लेकर थी कि राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा देते समय जो पत्र सार्वजनिक किया और उसमें बिना किसी नेता का नाम लिये जिन नेताओं पर पार्टी के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया उन्हें चिन्हित करना है साथ ही राहुल टीम के युवा सदस्यों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि वे राहुल के अध्यक्ष ना रहने से उनकी भूमिका और हैसियत में कहीं कोई कमी नहीं होगी.
पार्टी नेताओं के साथ विचार विमर्श के दौरान अन्य समान विचारधारा वाले दलों के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित किया जाए इसके लिए भी रणनीति बनाने का काम शुरु हो गया है।
सोनिया गांधी ने पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में पार्टी कैडर खड़ा करने की विशेष जिम्मेदारी दिया।
सोनिया गांधी ने विशेष रूप से उन राज्यों को चिन्हित किया है जहां पार्टी का ढांचा अत्यंत कमजोर बना हुआ है.
अध्यक्ष का पद संभालने के 48 घंटे के अंदर ही सोनिया गांधी ने बंद कमरों में बैठे पार्टी नेताओं को सड़क पर उतरने और मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने की जिम्मेदारी सौंप दी. बावजूद इसके पार्टी के युवा नेता इस बात पर निगाह लगाये बैठे है कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके विश्वास पात्र लोग अब किस भूमिका में होगें और राहुल के युवा टीम को क्या जिम्मेदारी मिलेगी।
सोनिया गांधी ने पहले भी पार्टी को मुश्किल दौर से निकाला है इसलिए नेताओ के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी सोनिया गांधी से विशेष उम्मीद है।