देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक अहम आदेश में उत्तराखंड चुनाव आयोग को जमकर फटकार लगाई है। मामला वोटर लिस्ट में डबल एंट्री और गड़बड़ी का है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
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क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड में वोटर लिस्ट की तैयारी और संशोधन के दौरान बड़ी संख्या में डुप्लीकेट नाम दर्ज पाए गए। इस लापरवाही को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंची, जहाँ सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सख्त नाराज़गी जताई।
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सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि वोटर लिस्ट में डबल एंट्री चुनावी पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाती है। लोकतंत्र की नींव ही निष्पक्ष चुनाव पर टिकी है, और इस तरह की लापरवाही मतदाता अधिकारों के साथ समझौता है।
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2 लाख रुपये का जुर्माना
अदालत ने आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए यह साफ संदेश दिया कि चुनाव जैसे गंभीर विषय में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही आयोग को निर्देश दिया गया कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
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क्यों है यह मामला अहम?
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी से चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सीधा असर पड़ता है।
डुप्लीकेट नाम या गलत प्रविष्टियाँ चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले चुनावों में मतदाता सूचियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नज़ीर बनेगा।
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निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने साफ कर दिया है कि लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करने वाली कोई भी चूक स्वीकार्य नहीं है। अब उत्तराखंड चुनाव आयोग को न केवल जुर्माना चुकाना होगा, बल्कि अपनी कार्यप्रणाली में भी सुधार करना होगा।


































































