अगर 542 लोकसभा सीटों में से कोई एक निर्वाचन क्षेत्र ऐसा था, जहां भाजपा और आरएसएस मशीनरी ने एक व्यक्ति को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, तो वह अमेठी था. चाहे वह प्रधानमंत्री हों, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता हों, सबने अपनी पूरी ताकत, राज्य की मशीनरी और अन्य संसाधन यह सुनिश्चित करने में झोंक दी कि राहुल गांधी के यहां से 17वीं लोकसभा नहीं पहुंच पाएं.
राज्य का पूरा प्रशासनिक अमला भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के साथ खड़ा था.
अमेठी से जुड़ी सभी सड़कों पर कड़ी सुरक्षा थी. राजधानी लखनऊ या दूसरे राज्यों से भाजपा को छोड़कर अन्य पार्टियों की आने वाली गाडि़यों की तीन-तीन बार जांच की गई. चुनाव आयोग का अनुकूल पर्यवेक्षक भी मदद के लिए तत्पर रहते थे. सुरक्षा व्यवस्था और वाहनों की तलाशी इतनी मुस्तैदी थी कि किसी बैरिकैड से 20 हजार से अधिक रुपए लेकर निकलना मुश्किल था.
प्रधानमंत्री मोदी राहुल की ओर से लगातार ‘चौकीदार चोर है’ कहे जाने से बेहद नाराज़ है राहुल की आक्रामकता ने भाजपा आलाकमान को नाराज और चिंतित कर दिया. राहुल गुजरात विधानसभा चुनाव में सत्ता के करीब पहुंच गए थे. वहीं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को उन्होंने भाजपा से छीन लिया. इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश पैदा हुआ. यही नहीं, प्रियंका गांधी को पार्टी में शामिल कर उन्होंने एक नया उत्साह पैदा किया.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी में मात देने की भाजपा की योजना को पहले ही भांपकर केरल के वायनाड से नामांकन पत्र भर दिया. वायनाड लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए स्वर्ग समान रही है. लोकसभा में अपना प्रवेश सुनिश्चित करने के बाद राहुल ने अपनी नजर अमेठी पर गड़ा दी. राहुल ने अपने प्रचार के लिए अपनी बहन प्रियंका गांधी को अमेठी भेजा. वह भी एक-दो दिन नहीं बल्कि पांच दिनों के लिए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने अमेठी के तीन विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और वरिष्ठों से अपने भाई के लिए समर्थन मांगा. बाद में राहुल गांधी ने भी अमेठी में पांच दिन बिताए और पहले बार-बार यहां नहीं आने के लिए माफी भी मांगी. यह पहली बार है जब गांधी परिवार ने किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में पांच दिन बिताए हों.
अब मुस्कुरा रहे हैं।
अमेठी की स्थिति पर नियमित रूप से नजर रखने वाले कांग्रेस वॉर रूम के उच्च पदस्थ सूत्र अब मुस्कुरा रहे हैं. वह आश्वस्त हैं कि स्मृति ईरानी फिर से कम अंतर के साथ हार जाएंगी. सपा नेता अखिलेश यादव से विशेष आग्रह किया गया था कि वह अमेठी के मतदाताओं को राहुल के पक्ष में मतदान करने की अपील करें. बसपा प्रमुख मायावती ने भी इसी तरह की अपील जारी की थी. समझा जाता है कि राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को इसके लिए व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद दिया है।