मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहला बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। बजट पेश करते हुए सीतारमण ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की अर्थव्यवस्था 3,000 अरब डॉलर की होगी।
वित्त मंत्री सीतारमण का ये दावा बीजेपी नेता और राज्यसभा सासंद सुब्रमण्यम स्वामी को पसन्द नही आया और उन्होंने निर्मला सीतारमण के भाषण की कई खामिया निकाली और तंज कसा।

स्वामी ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होने का दावा किया गया है। इसका मतलब अगले चार सालों में औसत विकास दर 18 प्रतिशत होगी।
स्वामी ने वित्त मंत्री के बजट के दौरान किए गए दावों पर कई तंज भरे ट्वीट किए।
भाजपा सांसद स्वामी ने अपने ट्वीट में कहा कि वित्त मंत्री ने बजट भाषण के पैराग्राफ 8 में कहा कि भारत जीडीपी के मामले में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। परचेजिंग पावर पैरिटी टर्म्स के मामले में हम पहले से दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं लेकिन सच क्या है? 6 या 3, दोनों चीज एक साथ नहीं हो सकती हैं।
स्वामी जो तीसरे और छठे नम्बर की अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं ये बात कांग्रेस से जुड़े लोग पहले भी कई बार कर चुके हैं।
इसके बाद स्वामी ने किसानों की आय को दुगनी करने के दावों पर भी सीतारमन पर तंज कसा और कहा कि सरकार ने बजट में 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब ये है कि चार साल में ये दोगुना होना है। इसका मतलब है कि प्रतिवर्ष औसत विकास दर में 18 फीसदी की बढोतरी। अभी देश में कृषि विकास की रफ्तार दो प्रतिशत से भी कम है. स्वीट ड्रीम्स।
बजट पेश करते वक्त जो दावे किए गए उसमे लोकसभा चुनावों के भाषणों का असर दिखा तभी तो असम्भव आंकड़ो को भी सीतारमन ने कह डाला।
स्वामी ने अपने एक और ट्वीट में कहा कि 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने में भारत को 55 साल लग गए। हमने 5 साल में 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था में और जोड़े। आज हम 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास की अर्थव्यवस्था हैं। 55 साल कहां से जोड़े गए? 26 मई 2019 तक 1 ट्रिलियन डॉलर और जुड़ गए? अब हम 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास की अर्थव्यवस्था हैं, तो क्या महज 6 हफ्तों में 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बढ़ गई? हरे राम!
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए ‘सशक्त राष्ट्र, सशक्त नागरिक’ के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चाणक्य नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि कार्य पुरुषा करे, ना लक्ष्यम संपा दयाते’ यानी इच्छाशक्ति के साथ किए प्रयासों से लक्ष्य जरूर हासिल कर लिया जाता है।