कर्नाटक में सिर्फ कांग्रेसी मुख्यमंत्री ही कर पाते हैं 5 साल का कार्यकाल पूरा , BJP-JDS सरकार हर बार हो जाती है असफल

कर्नाटक में पिछले 21 दिन से सियासी संकट का दौर चल रहा था क्योंकि कांग्रेस-जेडीएस के विधायक ने अपने सरकार के ही खिलाफ बगावत कर दिया था।

विधानसभा में मंगलवार को फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन अपनी सरकार नहीं बचा पाई। इसी के साथ हफ्तों से चल रहे कर्नाटक के सियासी नाटक का अंत हो गया।

आपको बता दें रि फ्लोर टेस्ट में 14 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार विधानसभा में विश्वासमत के दौरान जरूरी बहुमत नहीं साबित कर पाई।

लेकिन आपओ जानकर आश्चर्य और दिलचस्प दोनो लगेगा कि कर्नाटक में ऐसा पहली बार नही हुआ है यहाँ गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनते ही सियासी संकट शुरू हो जाता है और आजतक कोई भी ऐसा मुख्यमंत्री जो कांग्रेस का ना हो 5 साल का कार्यकाल पूरा नही कर पाया है।

कर्नाटक के इतिहास में केवल तीन मुख्यमंत्री ही ऐसे हैं जिन्होंने अब तक पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा कर पाए और उन तीन मुख्यमंत्रियों कांग्रेस से ही हैं।

ये तीनो के नाम निम्न हैं

1 . एस निजलिंगप्पा जो 1962 से 1968 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे।

2. डी देवराजा उर्स  जो 1972 से 1977 तक राज्य का मुख्यमंत्री थे।

3.  सिद्धारमैया जो 2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे। 

बीजेपी और जेडीएस दोनों ही के नेता पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में अभी तक सफल नहीं हुए हैं।

इस बार भले ही कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन फेल रही हो पर बीजेपी-जेडीएस की की गठबंधन भी फेल रह चुकी है।

कुमारस्वामी दो बार अपना सरकार बचाने में विफल रहकर बीच कार्यकाल में इस्तीफा देने को मजबूर हुए हैं।

पहली बार कुमारस्वामी, जेडीएस-भाजपा गठबंधन की सरकार में फरवरी, 2006 से अक्टूबर 2007 तक मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन बाद में बीजेपी से मतभेद होने पर उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

दूसरी बार  कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल मई, 2018 में शुरू हुआ और कल 14 महीने बाद फिर उन्हें सत्ता से हाथ गंवाना पड़ा

सिर्फ जेडीएस ही नही बीजेपी के CM भी 5 साल का कार्यकाल पूरा करने में असफल रहते हैं।  येद्दयुरप्पा 3 बार असफल रहे हैं।

पहली बार बीएस येदियुरप्पा 2007 में यहां के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन वह 7 दिन तक ही पद पर रहे क्योंकि जेडीएस ने समर्थन वापस ले लिया था।

इसके बाद दूसरी बार साल 2008 में येदियुरप्पा सीएम बने लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उन्हें जुलाई, 2011 में कुर्सी छोड़नी पड़ी।  तीसरी बार वो 2018 में महज छह दिन के लिए 17 मई, से लेकर 23 मई तक CM बने मगर बहुमत के अभाव में त्याग पत्र दे दिया था।

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