मध्यप्रदेश विधानसभा में आज फ्लोर टेस्ट हुआ, संशोधन विधेयक को लेकर आज मतदान होना था, माना जा रहा था कि कर्नाटक सरकार के नाटकीय अंत के बाद अब बारी मध्यप्रदेश सरकार की है, भाजपा नेताप्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कर्नाटक सरकार गिरने के बाद ही कटाक्ष करते हुए बयान जारी किया था कि कर्नाटक के अंत हुआ अब बारी है मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार के अस्थि विसर्जन की।
ऐसे सूरत-ए-हाल में कयास लगाए जा रहे थे कि अब जो विधायक कमलनाथ सरकार में अपने सुर ऊंचे कर रहे थे वो अब अपना रंग बदल सकते हैं, और इसी सब के बीच ये संशोधन विधेयक को लेकर विधानसभा में मतदान हुआ, मज़े की बात तो ये है कि कांग्रेस और उनके साथियों की कुल संख्या है 121 और विधेयक के पक्ष में 122 वोट पड़े जबकि स्पीकर ने अपना मत नही डाला । जानकारी के अनुसार भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर कुछ खलबली तो निश्चित ही पैदा कर दी है क्योंकि नारायण त्रिपाठी वही विधायक हैं जिनके खिलाफ लोकसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी द्वारा जातिवाद जातिवाद का समर्थन करते हुए कांग्रेस का साथ देने का आरोप भी लगा था, सारी जानकारी को साझा करते हुए कैबिनेट मंत्री गोविंद राजपूत ने कहा कि ये कर्नाटक का जवाब है और ये कमलनाथ की कांग्रेस सरकार है इसके साथ खरीद फरोख्त करना कोई मजाक नही ।।
इस तरह बीजेपी मध्यप्रदेश में सरकार गिराने के दावों का भी कही ना कही अंत हो गया और कांग्रेस ने भी इसके साथ चैन की सांस ली होगी।
मगर इस सब के बीच बीजेपी के 2 विधायक का कांग्रेस के पक्ष में वोट करना सबसे दिलचस्प रहा।
सूत्रों से सूचना मिली है कि दोनों भाजपा विधायक जल्दी ही कांग्रेस की सदस्यता ले सकते हैं, जबकि नारायण त्रिपाठी पूर्व में भी मैहर विधानसभा से ही कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं ।
युवा राजनैतिक विश्लेषक
प्रशांत पाराशर