अपने तीन दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ना सिर्फ भाजपा पर हमला बोला बल्कि भाजपा और आरएसएस द्वारा लगातार उनके खिलाफ किए जा रहे मुकदमे को लेकर भी उन्होंने खुलकर बोला। राहुल गांधी ने अपने मुकदमे का पदक से तुलना करते हुए कहा कि जितने अधिक मुकदमे हो रहे हैं उन्हें उतना अधिक पदक मिल रहा है।
गौरतलब है कि भाजपा और आरएसएस राहुल के हर बयान के बाद देशभर में मुकदमा दर्ज करने का काम कर रही है। देशभर में राहुल के खिलाफ भाजपा और आरएसएस ने दर्जनों मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है।
वनयांबलम में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ देशभर में मुकदमे दर्ज कराए हैं। मगर वह उनसे डरे नहीं हैं बल्कि उन्हें तो वह ‘पदक’ के समान मानते हैं।
राहुल गांधी ने कहा, ‘मेरे खिलाफ 15 से 16 मुकदमे हैं। जब आप सैनिकों को देखते हैं तो उनके सीने पर कई सारे पदक होते हैं। इसी तरह हर मुकदमा मेरे लिए पदक के समान है।’ राहुल ने आगे कहा कि इनकी संख्या जितनी ज्यादा होगी मैं उतना खुश होऊंगा।
उत्तरी केरल में अपने लोकसभा क्षेत्र वायनाड की तीन दिवसीय यात्रा शुरू करते हुए गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद संकट में हैं क्योंकि उन्होंने जो ‘काल्पनिक दुनिया’ बनाई थी वह बिखर रही है। देश में कोई आर्थिक संकट नहीं होने के केंद्र के दावे पर गांधी प्रतिक्रिया दे रहे थे।
राहुल ने कहा , ‘कांग्रेस सभी तरह के भेदभाव के खिलाफ है। हमारा मानना है कि भारत सभी का है। सभी समुदायों, सभी धर्मों और संस्कृतियों का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह अपनी ही ‘काल्पनिक दुनिया’ में जी रहे हैं। उनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है। वे अपनी दुनिया में रहते हैं और चीजों के बारे में कल्पना करते हैं इसीलिए देश इस संकट में है।’
राहुल अपने संसदीय क्षेत्र के कई कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले रहे हैं। राहुल के कार्यक्रमों में जनता का भी काफी झुकाव दिख रहा है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर ऐसे शासन में लिप्त होने का आरोप लगाया जो वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाते हैं। उन्होंने कहा, ‘यदि नरेंद्र मोदी इस देश के लोगों की सुनते, तो कोई समस्या नहीं होगी।’ नागरिकता बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने की बात की गई है। जिसका कि विपक्षी पार्टियां काफी विरोध कर रही हैं।
वहीं केरल के मलप्पुरम में उन्होंने बच्चों के सवाल करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, ‘घृणा और क्रोध वैज्ञानिक प्रकृति के सबसे बड़े विध्वंसक हैं, जिज्ञासा और प्रश्न वैज्ञानिक प्रकृति का हृदय है। विज्ञान में लगातार सवाल पूछना जवाब देने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। बेवकूफी वाला या फिर मूर्खतापूर्ण सवाल जैसा कुछ नहीं होता है।’