शिक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार छात्रों को एक और झटका देने की तैयारी में दिख रही है। पहले ही शिक्षा क्षेत्र को बदहाल करने को लेकर आलोचना झेल रही मोदी सरकार अब स्कूली शिक्षा बजट में कटौती कर सकती है।
एक मीडिया के अनुसार मोदी सरकार 2019-20 में फंड की कमी का हवाला देते हुए शिक्षा में 3,000 करोड़ की कटौती करने वाली है। स्कूली शिक्षा बजट के लिए 2019-20 के बीच में 56,536.63 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।
मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशांक अन्य अधिकारियों के साथ वित्त मंत्रालय से पूरा फंड देने की दरख्वास्त कर रहे हैं। एक सूत्र के अनुसार,”मानव संसाधन मंत्रालय वित्त मंत्रालय से दरख्वास्त कर रहा है की उनको पूरा फंड आवंटित किया जाए क्योंकि स्कूली शिक्षा के पास फंड इकट्ठा करने का और कोई रास्ता नहीं है। हालांकि जब इस बारे में मानव संसाधन मंत्रालय से जानकारी मांगी गई तो उनके आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि यह सच नहीं है।
मानव संसाधन मंत्रालय के कुछ अधिकारियों की माने तो इससे बहुत सी योजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। केंद्रीय विद्यालयों को पैसा चाहिए, नवोदय विद्यालय को पैसा चाहिए, बहुत से शिक्षकों को भी उनका वेतन नहीं मिला है।
इस खबर के सामने आते ही छात्रों में गुस्सा देखा गया है जबकि छात्रों के राजनीति करने वाले संगठनों ने भी सरकार के मंशा पर सवाल उठाया है।
सोशल मीडिया पर कहा जा रहा कि क्या बीजेपी अब शिक्षा बजट में कटौती कर दूसरे राज्यो के विपक्षी विधायको को खरीदेगी।
शिक्षा बजट में कटौती किए जाने की खबर के बाद इस सरकार से पूछा जाना चाहिए की क्या उसके लिए मंदिर, गाय ,ऊंची मूर्तियां, यही विकास है ?
अच्छी स्कूली शिक्षा जो कि एक सुनहरे भविष्य की बुनियाद क्या उससे सरकार का कोई लेना देना नही है।