राहुल गांधी और मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार द्वारा सैनिको और कर्मचारियों के भत्ते पर रोक लगाने की फैसला का किया विरोध

देश में जारी कोरोना महामारी के बीच केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते पर रोक लगा दिया है।

सरकार द्वारा लगाए गये अंकुश को लेकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों में खासी नाराजगी है, मिली जानकारी के अनुसार इन कर्मचारियों के संघटन अपनी नाराज़गी व्यक्त करने के लिये रणनीति बनाने में जुट गये हैं।

इस बीच इन कर्मचारियों को कांग्रेस का खुला समर्थन भी मिलता दिख रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस फैसले को अमानवीय करार दिया ब।

राहुल ने ट्वीट किया “लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौन्दर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों ,पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है”

वहीं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी सरकार के इस फैसले का आलोचना किया है।

उन्होंने कहा है कि इस वक्त केंद्रीय कर्मियों एवं सैनिकों के लिए मुश्किल पैदा करना उचित नहीं है। कांग्रेस की ओर से जारी पार्टी के सलाहकार समूह की बैठक के वीडियो के मुताबिक सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस को इस वक्त इन सरकारी कर्मचारियों और सैनिकों के साथ खड़े रहना है।उन्होंने कहा, ” हमें उन लोगों के साथ खड़े होना है जिनके भत्ते काटे जा रहे हैं। मेरा मानना है कि इस वक्त सरकारी कर्मचारियों और सशस्त्र बलों के लोगों के लिए मुश्किल पैदा करने की जरूरत नहीं थी।”

उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती से सरकारी खजाने में सालाना 37 हज़ार 530 करोड़ आ जायेंगे जिसका सीधा प्रभाव लगभग 50 लाख सेवा रत कर्मचारियों तथा 61 लाख से अधिक पेंशन भोगी बुजुर्गों पर पड़ेगा।

इतना ही नहीं सीमाओं पर तैनात सेना के जवान भी इसकी चपेट में होंगे ,जिससे 15 लाख सैनिकों और 26 लाख पेंशन भोगी पूर्व सैनिक इस फ़ैसले के शिकार होंगे। कोरोना की आड़ में मोदी सरकार अपनी गलत आर्थिक नीति को छिपाने के लिये नये -नये हथकंडे अपना रही है ,पहले मध्यम वर्ग पर तीर चला कर बचत पर मिलने वाली व्याज की कटौती की अब सैनिकों और केंद्रीय कर्मचारियों पर हमला किया है।

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