
भारतीय रेलवे कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्य सरकारों से किराया लेगा.
इस संबंध में शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा गया कि किराए में शयनयान श्रेणी के टिकट की कीमत, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और प्रति यात्री भोजन तथा पानी के लिए 20 रुपये शामिल होंगे. इस पर अब राजनीति शुरू हो गई है.
आपको बता दे कि 2008 मे जब देश मे बाढ आयी थी तब तात्कालीन यूपीए सरकार के रेल मंत्री लालू यादव ने बाढ पीडितो के लिये ट्रेन का किराया मुफ्त कर दिया था लेकिन आज केंद्र सरकार जनविरोधी रवैया अपना रही हैं।
आज ही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान किया है कि कांग्रेस की प्रदेश ईकाई मजदूरो के रेल किराया का खर्च वहन करेगी जिसके बाद से केंद्र सरकार की नींद भी खुल रही है लेकिन सवाल आज भी यही है कि जो पीएम केयर फंड का पैसा था वो किसके लिये था? जनता के लिये या फिर मोदी जी के लिये? अगर जनता के लिये था तो उनसे किराया वसूल क्यो किया जा रहा हैं?
इसके संदर्भ मे युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने ट्वीट कर कहा कि ” 2008 में जब भीषण बाढ़ आई थी तब कांग्रेस सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए ट्रेन का टिकट मुफ्त कर दिया था..!
- आज 2020 में भी जब देश कोरोनासंकट से झूझ रहा है तब भी कांग्रेस पार्टी ही आगे आयी, घर लौटने वाले मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च उठाएगी🇮🇳🇮🇳 “
सवाल ये है कि जब यूपीए सरकार उस समय बाढ पीडितो का रेल किराया माफ कर सकती है तो अब नरेंद्र मोदी की सरकार क्यो नही कर सकती? आपको बता दे कि पिछले 12 घंटे मे सबसे अधिक सोशल मीडिया पर यही सवाल चल रहा हैं।