कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गए नेताओ को बीजेपी ने नही दिया टिकट , कांग्रेस के बागियों को लगा झटका

कांग्रेस के वे नेता जिन्होंने पार्टी के साथ वफादारी की जगह गद्दारी करते हुए पार्टी का साथ छोड़ दिया था उन्हें अपनी करनी की सजा मिलती हुई दिख रही है। कुछ लोगो ने जिस पार्टी से पहचान बनाई उसे ही ठोकर मारकर सिर्फ सत्ता के लोभ में बीजेपी का दामन थाम लिया था उन्हें बीजेपी ने करारा झटका देते हुए बतला दिया कि जो अपने पार्टी का वफादार ना हो सका वह दूसरों से वफादारी की उम्मीद ना करें और बीजेपी ने भी वही किया जो उन नेताओं ने कांग्रेस के साथ किया था मतलब पड़ी तो हाथ मिलाया और जब मतलब खत्म हो गया तो हाथ छुड़ाते हुए किनारे लगा दिया।

लोकसभा चुनाव में मिली पूर्ण बहुमत और धारा 370 के नाम पर महाराष्ट्र में बीजेपी पुनः सत्ता में लौटने के लिए अपने तैयारी को अंतिम रूप देने में लगी है। भाजपा ने पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र में चुनावी शंखनाद कर दिया है। शिवसेना के साथ गठबंधन से मुंबई में भाजपा के उन नेताओं को निराशा हाथ लगी है, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। उनकी स्थिति यह हो गई है कि न खुदा ही मिले न विसाले सनम। इससे देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में उत्तर भारतीय राजनीति कसौटी पर हैं।

दरअसल, 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर भारतीयों की बदौलत मुंबई की 36 में से सर्वाधिक 15 सीट जितने में सफल हुई थी

इस चुनाव में पहली बार भाजपा को उत्तर भारतीय वोट बैंक का अंदाजा लगा था। उसके बाद इस वोटबैंक पर कब्जे के लिए भाजपा ने मुंबई में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया था। उन्हें कहा गया था कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उनको उम्मीदवार बनाया जाएगा, लेकिन भाजपा ने उन्हें किनारे कर दिया है। एकमात्र निवर्तमान राज्यमंत्री विद्या ठाकुर को उम्मीदवारी देकर अन्य उत्तर भारतीय नेताओं को ठेंगा दिखा दिया है।

कांग्रेस के पूर्व विधायक राजहंस सिंह, रमेश सिंह, दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री व फिल्मसिटी के उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र, पूर्व विधायक अभिराम सिंह, मृत्युंजय पांडेय, मनोभव त्रिपाठी, संजय पांडेय जैसे दर्जनों उत्तर भारतीय नेता हैं, जिनका राजनीतिक करियर दांव पर है। भाजपा इन्ही नेताओं के सहारे मुंबई और आसपास के करीब 50 लाख उत्तर भारतीयों के वोट बैंक पर नजर गड़ाए बैठी है। राजहंस सिंह विधायक चुने जाने से पहले एशिया की वैभवशाली मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में रिकार्ड आठ साल तक विपक्ष के नेता रहे है। वहीं, रमेश सिंह दो बार विधायक चुने जा चुके हैं।

बीजेपी से टिकट ना मिलने से निराश नेताओं के पास अब कोई दूसरा रास्ता भी नहीं दिख रहा है क्योंकि जिस कांग्रेस से उन्होंने अपना नाता तोड़ दिया था उसने भी अपने प्रत्याशियों का नाम ऐलान कर दिया है ऐसे में पार्टी के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं को बीजेपी ने धोखा देते हुए यह बता दिया कि जो जैसा करता है उसके साथ वैसा ही होता है इन नेताओं ने कांग्रेस को धोखा दिया और बीजेपी ने इन नेताओं को

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