
2013 के बाद बीजेपी के प्रदर्शन में लगतार सुधार हुआ और एक समय आया कि बीजेपी ने इतिहास रचते हुए सर्वाधिक राज्यो में सरकार बनाने का रिकॉर्ड बनाया मगर 2018 में तीन राज्यो की हार से बीजेपी के प्रदर्शन में गिरावट शुरू हो गया मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर इतिहास रचते हुए 303 सीट जीत लिया तो लगा बीजेपी फिर वापसी कर ली मगर उसके बाद हर राज्य में बीजेपी को हार ही मिल रहा , हरियाणा को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद किसी भी राज्य में सरकार बनाने में सफल नही हुई , जबकि हरियाणा में भी बीजेपी बहुमत से बहुत दूर रह गई।
यही कारण है कि दिल्ली की हार से चिंतित भाजपा के लिए पहाड़ी राज्य नई चिंता का सबब बनते दिख रहे हैं. भाजपा के आंतरिक आकलन में यह पाया गया है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों को लेकर न केवल विधायकों में असंतोष बढ़ रहा है बल्किआम जनता के बीच भी उनकी कार्यशैली को लेकर नकारात्मक नजरिया में इजाफा हो रहा है.
दोनों ही राज्य में यह भी पाया गया है कि मुख्यमंत्रियों की ओर से विपक्षी दलों की ओर से किए जा रहे हमलों का प्रभावी जवाब भी नहीं दिया जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को लेकर यह सामने आया है कि वह भाजपा के अंदर भी समन्वय करने में सफल नहीं हो रहे हैं
यहां पर भाजपा के ही अनुषांगिक संगठन एबीवीपी ने भी प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसके अलावा ड्रग समस्या, विकास कायार्ें को गति नहीं देने को लेकर भी जयराम ठाकुर लगातार विपक्ष और जनता के निशाने पर हैं. भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक बड़ी समस्या उत्तराखंड में दिख रही है.
यहां पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यों को लेकर जनता के बीच असंतोष लगातार बढ़ रहा है. इसकी एक वजह राज्य सरकार की ओर से पहाड़ों पर शराब के कारखानों की इजाजत देने के साथ ही राज्य में बूचड़खानों को लेकर कठोर कदम नहीं उठाया जाना है.
इसके अलावा यहां पर साधु-संत समुदाय के भी मुख्यमंत्री से नाराज होने की सूचना है. यहां पर अधिकतर लोगों का आकलन है कि मुख्यमंत्री को बदलकर ही भाजपा अगले चुनाव में जीत सकती है.