लोकसभा चुनाव के बाद से ही लगातार भारतीय जनता पार्टी को झटका लग रहा है। मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की मगर उसके बाद हो रहे राज्यों के चुनाव में जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी को झटका लग रहा है उससे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के मनोबल में कमी देखी जा रही है यही कारण है कि पार्टी के कुछ नेता देश में हो रहे उथल-पुथल को जल्द शांत करने की बात कर रहे हैं तो कुछ नेता खुद को पार्टी में तवज्जो न दिए जाने के कारण पार्टी से दूरी बनाते हुए दिख रहे हैं।
गुजरात के अंदर 2017 की विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दी और उसके बाद 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव में जिस तरह से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को गुजरात के खुद के मजबूत होते जनाधार से एहसास कराया उस से भारतीय जनता पार्टी के खेमे के कई विधायक कॉन्ग्रेस के संपर्क में माने जा रहे हैं ऐसे में गुजरात के बड़ौदा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक केतन इमानदार ने पार्टी को बड़ा झटका दिया और अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया है. हालांकि बीजेपी का कहना है कि वह अपने विधायक को मना लेगी.
पीएम नरेंद्र मोदी के गढ़ में बीजेपी विधायक के इस्तीफे के बाद खलबली मच गई है. विधायक केतन इनामदार ने पार्टी और अधिकारियों पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार में किसी विधायक का सम्मान और प्रतिष्ठा सुरक्षित नहीं हैं.
कहा कि भाजपा नेताओं और नौकरशाहों के उपेक्षा भरे रवैय्ये के कारण इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधि को सम्मान करना चाहिए था, लेकिन अब वह नहीं मिल पा रहा है.
इस मामले में कांग्रेस नेता परेश धनानी ने कहा कि इस प्रकरण के सामने आने के बाद से सरकार की नियत साफ हो गई है. उन्होंने इनामदार को कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए न्यौता भी दे ड़ाला।
गुजरात सरकार ने अपने इस कार्यकाल का आधा का समय लगभग व्यतीत कर लिया है ऐसे में 2022 में होने वाले चुनावों से पहले बीजेपी के विधायकों का इस्तीफा बीजेपी हाईकमान के लिए चिंता का विषय बन सकता है।