कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पूछे गए सवाल पर सोनिया गांधी ने दिया ये जबाब

कांग्रेस में नेतृत्व संकट अब तक खत्म नही हुआ है , पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन बनेगा इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे , कई नामों पर चर्चा हो रही है पर किसी एक नाम पर अब तक सहमति नही हुई है।  राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस में नया अध्‍यक्ष कौन होगा इस बात को लेकर बहस जारी है । विचित्र स्थिति अब ये है कि कांग्रेस को कई वर्षों के बाद ऐसे हालात से दो चार होना पड़ रहा है जब पार्टी के लिए गांधी परिवार से बाहर के नेता को अध्यक्ष चुनना है । अब ऐसे में पार्टी को ऐसे नेता की तलाश है जो संगठन के रूप में पार्टी जानकार हो, उसकी छवि पर कोई दाग न हो, साथ ही गांधी परिवार से रिश्ते भी ठीक हों ताकि किसी प्रकार की समस्या होने पर गांधी परिवार उनकी मदद कर सके , सबको साथ लेकर चलें।

कई नामों पर चर्चा हो रही है , कई तरह के राय रखे जा रहर हैं पर राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद त्‍यागे हुए 51 दिन हो चुके हैं । कांग्रेस अब तक किसी चेहरे को अध्‍यक्ष पद के लिए तय नहीं कर पाई है ।

कोई अध्यक्ष ना चुने जाने के कारण पार्टी के कुछ वरिष्‍ठ नेताओ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए सवाल उठाए थे। वो लोग चाहते हैं कि जल्द ही किसी न किसी के नाम पर आम राय बनाकर उसे अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। कुकह नेताओ ने सोनिया गांधी से भी अपील की उन्‍हें पार्टी का दारोमदार संभाल लेना चाहिए । हालांकि इस बारे में सोनिया गांधी से जब सवाल किया गया, तो उनका जवाब ना के बराबर ही रहा । सोनिया इस मामले में कुछ भी कहने से बचती नजर आईं । सोनिया ने सवाल पर कहा- ‘नो कमेंट’ ।

दरअसल एबीपी न्‍यूज की वेबसाइट पर आई एक खबर अनुसार सोनिया गांधी के संसद पहुंने पर संवाददाता ने सवाल पूछा कि, ”कुछ नेता चाहते हैं कि आपको पार्टी का चार्ज लेना चाहिए?” इस सवाल के जवाब में सोनिया ने कहा, ‘नो कमेंट’ ।

दरअसल राहुल गांधी के अध्‍यक्ष पद संभालने से पहले तक सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अध्‍यक्ष रहीं । उनकी खराब तबीयत के कारण राहुल गांधी को पदभार सौंपा गया । लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने जिम्‍मेदारी लेते हुए पद त्‍याग दिया, अब कांग्रेस में नया अध्‍यक्ष कौन हो इसके लिए माथापच्‍ची जारी है ।

आगमी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब पार्टी को जल्द से जल्द फैसला लेना होगा अन्यथा पार्टी मुश्किल में फंस सकती है। अध्यक्ष के ना होने के कारण पार्टी किसी मुद्दे पर फैसले नही ले पा रही है जिससे पार्टी में असंतोष फैल सकता है।

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