कर्नाटक के सियासी संकट अब कोर्ट में पहुंच गया है। JDS और कांग्रेस के बागी विधायकों ने स्पीकर के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की।
बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं, हम केवल ये देख सकते हैं कि संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर फैसला ले सकते हैं।
कोर्ट के इस टिप्पणी से स्पष्ट है कि कोर्ट स्पीकर को किसी भी तरह के फैसले लेने के लिए बाध्य नही कर सकता है और स्पीकर अभी तक जिस तरह का रवैया अपनाए हुए हैं उससे स्पष्ट है कि कोर्ट के इस टिप्पणी से JDS और कांग्रेस सरकार को राहत मिल सकती है क्योंकि स्पीकर का फैसला उनके पक्ष में है।
सीजेआई ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए क्या आधार दिए गए।
जिसपर रोहतगी ने जवाब दिया कि जब आपकी पार्टी का विधायक आपके साथ नहीं, दूसरी पार्टी के साथ खड़ा हो जाता है तो समझना चाहिए कि अब वह आपके साथ नहीं है। लेकिन स्पीकर स्पीकर मनमाने ढंग से इस्तीफा मंजूर करने के बजाय अयोग्य ठहराना चाहते हैं। रोहतगी ने कहा कि स्पीकर इतने दिनों तक इस्तीफा रोककर नहीं रख सकते, उन्हें जल्द फैसला लेना होगा।
विधायकों की ओर से बोलते हुए रोहतगी ने कहा कि मैं विधायक बने रहना नहीं चाहता। कोई मुझे इसके लिए मजबूर नहीं कर सकता, लिहाजा मेरा इस्तीफा स्वीकार किया जाना चाहिए।
अब देखना होगा कि स्पीकर क्या फैसला लेते हैं और उसके बाद कि स्थिति क्या होती है पर अभी तक कोर्ट के इस टिप्पणी से साफ है की स्पीकर अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं उन्हे कोई बाध्य नही कर सकता है।